मुंबई : कामकाजी व श्रमिक महिलाएं काम के दौरान अपने 6 महीने से 6 साल की उम्र तक के बच्चों की देखभाल भी कर सकें, इस मकसद से केंद्र सरकार की मिशन शक्ति अभियान के सामर्थ्य पहल के तहत एक आंगनवाड़ी “पालना” योजना शुरू की गई है. इस बारे में महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने गुरुवार को कहा है कि इससे श्रमिकों और कामकाजी महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी तथा बच्चों की देखभाल के लिए सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
मंत्री तटकरे ने कहा कि पहले चरण में महाराष्ट्र में 345 जगहों पर पालना घर शुरू करने की मंजूरी दी गई है. इन पालना घरों में डे- केयर सुविधाएं, पूर्व-विद्यालय शिक्षा, पूरक पोषण, विकास की निगरानी, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण आदि सुविधाएं उपलब्ध होंगी. बच्चों को दिन में तीन बार नाश्ता, गर्म पका हुआ दोपहर का भोजन और शाम का नाश्ता भी दिया जाएगा.
महीने में 26 दिन सुविधा
पालना घर हर महीने में 26 दिन, दिन में 7 घंटे, अधिकतम 25 बच्चों के साथ संचालित होगा. इसमें एक पालना सेविका और उनकी मदद के लिए एक सहायक महिला की नियुक्ति की जाएगी. पालना घर में बिजली, पीने का पानी और बच्चों के अनुकूल शौचालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इस कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी सेविका को प्रति माह 1500 रुपए भत्ता दिया जाएगा. इसी तरह आंगनवाड़ी मदतनीस को 750 रुपए प्रति माह, पालने वाली नौकरानी को 5,500 रुपए प्रति माह और पालने वाली सहायक को 3000 रुपए प्रति माह भत्ता दिया जाएगा.
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