मुंबई. सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर और महंगे निजी स्कूलों के कारण शिक्षा पहले ही सामान्य लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है. उस पर स्कूल बसों के मालिक कोढ़ में खाज की तरह अभिभावकों को सता रहे हैं. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेश चंद्र राजहंस ने राज्य सरकार इस मामले में ध्यान देने तथा स्कूल बस मालिकों द्वारा अभिभावकों की लूट पर रोक लगाने की मांग की है.
घटती कमाई और बढ़ती महंगाई से परेशान लोगों के लिए अपना और अपने परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है. उस पर किसी तरह बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे अभिभावकों को स्कूल बस का किराया बढ़ने का का डर सताने लगा है. स्कूल बस मालिक शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में स्कूल बस फीस में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रहे हैं. बस मालिकों का कहना है कि वाहनों के रख-रखाव का खर्च महंगा होने तथा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण वे दर बढ़ाने को मजबूर हैं. लेकिन इस वृद्धि को सुरेश राजहंस ने अभिभावकों की लूट कहा है. राजहंस का कहना है कि मुंबई समेत पूरे राज्य में भारी शुल्क चुकाने के बावजूद बसों में छात्रों को खचाखच भर कर ले जाया जाता है. स्कूल मालिक सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का व्यापक रूप से उल्लंघन करते हैं और छात्रों की सुरक्षा खतरे में डालते हैं. स्कूल 10 महीने चलता है, लेकिन किराया 12 महीने का लिया जाता है. यदि माता-पिता शिकायत भी करते हैं तो उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है. यहां तक कि स्कूल प्रबंधन भी स्कूल बसों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है. इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारियों को औचक छापेमारी कर स्कूल बसों का निरीक्षण करना चाहिए. सुरेश चंद्र राजहंस ने यह भी मांग की है कि सरकारी नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूल बस चालकों और मालिकों के लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिए जाएं.
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