मुंबई. सनातन धर्म में दो दिवसीय होली के त्योहार की शुरुआत होलिका दहन से होती है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किए जाने की परंपरा है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजन करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि व खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं. इस होली पर दुर्लभ शिववास योग सहित 4 मंगलकारी संयोग बन रहे हैं.
शुभ मुहूर्त में होलिका दहन से मिलेगी सुख-समृद्धि और खुशहाली
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्ष 2025 की होली के दिन शिववास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. इसके अलावा चंद्र ग्रहण, अभिजीत मुहूर्त तथा कई अन्य मंगलकारी संयोग भी बन रहे हैं. तो वहीं पंचांग के अनुसार, होलिका दहन पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग भी बन रहा है. इसी तरह रंग पंचमी के दिन यानी 14 मार्च को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के साथ-साथ शूल योग का भी निर्माण होगा. ऐसे में पूजा पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इन संयोगों का सही प्रकार से उपयोग करने से व्यक्ति को शांति, समृद्धि और सुख प्राप्त हो सकते हैं.
होलिका दहन भद्रा का साया :
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, जबकि 14 मार्च को रंग पंचमी अर्थात होली मनाई जाएगी. इस बार भद्रा दोष के कारण होलिका दहन रात में किया जाएगा.
भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन मुहूर्त
भद्रा प्रातः 10.36 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11.27 तक भूमि लोक की रहेगी. जो की सर्वथा त्याज्य है. होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11.28 से मध्य रात्रि 12.15 के मध्य होगा. इस बार होलिका दहन के लिए 47 मिनट का ही समय रहेगा.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
13 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10.36 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12.15 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के आधार पर पूर्णिमा दूसरे दिन 14 मार्च को है, लेकिन इस दिन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम होगा. इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को ही करना बेहतर है. शास्त्रीय मत भी है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए. 13 मार्च को होलिका दहन भद्रा के बाद होगा.. भद्रा 13 मार्च को सुबह 10.36 से रात्रि 11.27 बजे तक रहेगी. ऐसे में राता 11.28 से लेकर 12.15 बजे के बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा. तर्क ये भी है कि 13 मार्च को प्रदोषकाल में भद्रा होने से होलिका दहन नहीं होगा.. होलाष्टक होलिका दहन के बाद खत्म माना जाता है, लेकिन इस बार यह दूसरे दिन 12.24 बजे के बाद खत्म होगा. पूर्णिमा व्रत 14 मार्च को होगा. इसी दिन धुलंडी मनाई जाएगी.
होली खेलने की तिथि
13 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10.36 बजे शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12.15 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी. ऐसे में 14 मार्च को होली खेली जाएगी.
अभिजीत मुहूर्त
होली के दिन एक खास अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा, जो 12.07 बजे से 12.54 बजे तक होगा. इस समय में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को किया जा सकता है, जैसे कि पूजा, धार्मिक अनुष्ठान, या पारिवारिक समारोह. यह समय विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना गया है.
