मुंबई. 1 अप्रैल को नाशिक जव्हार रोड पर घाटकर पाडा इलाके में वाघ नदी के पुल के नीचे सुबह 10.40 बजे के करीब मिली अज्ञात महिला के शव की गुत्थी मोखाड़ा पुलिस ने सुलझा ली है. किसी क्राइम थ्रीलर फिल्म की कहानी की तर्ज पर रची गई उक्त हत्या की गुत्थी को पुलिस ने लगभग एक सप्ताह की मशक्कत के बाद सुलझाया है. इसके लिए मोखाड़ा पुलिस को महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गुजरात ऐसे 4 राज्यों की खाक छाननी पड़ी.
मिली जानकारी के अनुसार लगभग 25 से 27 वर्ष की महिला की स्कार्फ से गला घोंट कर हत्या करने के बाद हत्यारों ने पहचान छिपाने के लिए शव को एक बोरे में भरकर नदी में फेंका था. उन्हें लगा था कि लाश वह कर कहीं दूर चली जाएगी और पानी में नष्ट हो जाएगी. लेकिन हत्यारों की बदकिस्मती से बोरी पुल के नीचे ही फंसी रह गई.
मुश्किल थी मृतका की शिनाख्त
वन क्षेत्र से गुजरने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित पुल से फेंकी गई लाश की शिनाख्त और आरोपी की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक कठिन चुनौती थी. पुलिस अधीक्षक बालासाहेब पाटिल के मार्गदर्शन में गठित कई टीम इस मर्डर केस की जांच में जुटी थीं.
मटर के दानों ने दिया सुराग
बोरे में लाश के अलावा पुलिस को मटर के कुछ दाने भी मिले थे तथा बोर पर SM 28 मार्क छपा था. इससे पुलिस ने अनुमान लगाया कि सब्जियों की ठोक आपूर्ति के कारोबार से जुड़े किसी शख्स केस कत्ल से संबंध हो सकता है. क्योंकि नासिक जव्हार रोड से मुंबई व आसपास के इलाकों में सब्जी पहुंचाने वाले ट्रकों की आवाजाही दिन-रात चलती है. इसलिए नासिक से मुंबई में हरे मटर की आपूर्ति करने वाले व्यापारियों के साथ साथ SM 28 मार्क वाले बोरे के बारे में पूछताछ शुरू की गई. इस दौरान पता चला किस तरह के मार्क वाले बोरे मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश (शिमला) के व्यापारी इस्तेमाल करते हैं. हालांकि मध्यप्रदेश से तो SM 28 का कोई संबंध नहीं निकला लेकिन शिमला में मिली जानकारी के आधार पर पुलिस गुजरात के वापी में SM 28 मार्क वाले बोरे में मटर लेने वाले व्यापारी तक पहुंच गई. हालांकि इसके बाद भी कातिल पुलिस की गिरफ्त से दूर ही थे. क्योंकि उक्त व्यापारी ने बताया कि उसके पास से अलग अलग 7 से 8 व्यापारियों को मटर के बारे भेजे जाते हैं. उन व्यापारियों से भी पुलिस को संदेह करने जैसा कुछ नहीं मिला.
पोस्टर ने कातिलों तक पहुंचाया
जब सभी संभावनाएं समाप्त नजर आने लगी तो पुलिस ने मृतका की एक फोटो के साथ एक शोध नोट (पोस्टर) बनाकर वापी, सिलवासा व आसपास क्षेत्र में छपवा दिया. पुलिस की ये तरकीब काम कर गई. तलासरी पुलिस को पता चला कि मोखाड़ा पुलिस द्वारा जारी शोध पत्र वाली महिला को उसकी हत्या से तीन दिन पहले कासा के महालक्ष्मी मंदिर में देखा गया था.
मंदिर घुमाने के बहाने बुलाकर किया मर्डर
पुलिस ने मंदिर के सीसीटीवी फुटेजों की खंगाला तो पता चला कि महिला एक स्विफ्ट डिजायर कार से वहां पहुंची थी तथा उसके साथ तीन पुरुष भी थे. पुलिस ने कार के नंबर की मदद से कार के मालिक बालाजी वाघमारे को ढूंढा फिर मंदिर में उसके साथ नजर आए राजू कुमार वरही और सुरेश सिंह को भी दबोच लिया.
छुटकारा पाने के लिए किया मर्डर
आरोपियों से पूछताछ में मृतका की शिनाख्त सिलवासा निवासी काजोल गुप्ता के रूप में सामने आई. काजोल मूलरूप से नेपाल के जनकपुर जिले की रहनेवाली थी. काजोल का नेपाल के ही धनुषा जिले के मुसहरमिया गांव निवासी राजू वरही से प्रेम संबंध था. 24 वर्षीय राजू काजोल से छुटकारा पाना चाहता था. इस कार्य के लिए उसने सिलवासा में ही रहने वाले बालाजी और सुरेश सिंह की मदद ली. बालाजी मूलरूप से धाराशिव जिले का निवासी था जबकि पेशे से रसोइया सुरेश सिंह बिहार के मधुबनी जिले का निवासी था.
कत्ल के लिए त्रयंबेश्वर तक घूमे
बताया जा रहा है कि राजू और उसके साथी महालक्ष्मी मंदिर में दर्शन के बाद काजोल को दहानू घुमाते हुए नासिक स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर भी ले गए. इस दौरान वे रास्ते में सही जगह और मौके की तलाश करते रहे. त्रयंबकेश्वर से दर्शन करके लौटते समय उन्होंने कार में दुपट्टे से काजोल का गला घोंट दिया. बाद में योजना के तहत मोखाड़ा जंगल में पुल से लाश को नदी में फेंक दिया था.