मुंबई. उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को भले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में मंत्री बनने की लिए लगभग 6 महीने तक इतजार करना पड़ा. लेकिन मंत्री बनने के बाद भुजबल के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं. इसी के साथ ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि वरिष्ठता और सीएम फडणवीस के साथ अच्छे संबंधों के कारण नासिक का पालक मंत्री पद भी भुजबल को मिल जाएगा. गुरुवार को नासिक में आयोजित एक अभिनंदन समारोह में भुजबल ने कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाते हुए कहा कि आप पालकमंत्री की चिंता मत करो, नासिक का बालक (भुजबल) आपके साथ है. आपका कोई काम नहीं रुकेगा.
ओबीसी नेता छगन भुजबल को बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एवं एनसीपी (अजीत पवार) के गठबंधन वाली महायुति सरकार 2.0 में मंत्री पद मिल गया है. भुजबल को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री का पद मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है. भुजबल इससे पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार के दौरान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के ही मंत्री थे. लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव के बाद बनी महायुति सरकार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय धनंजय मुंडे को दे दिया गया था. लेकिन एक बार फिर से मंत्री बनने के बाद नासिक पहुंचे भुजबल का समर्थकों एवं अजीत की एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने जगह – जगह पोस्टर बैनर लगा कर गाजे बाजे के साथ स्वागत किया. इस मौके पर भुजबल ने कहा कि आप सभी लोग भुजबल का ‘भुज’बल हैं. मैने शहर में कई काम किए हैं. गोदावरी क्षेत्र में सड़कें, फ्लाईओवर और अन्य कार्य पूरे हो गए हैं. अब कुंभ मेले का काम कम समय में करने के संदर्भ में मैं बात करूंगा.
मंत्री पद बना पहेली
गौरतलब हो कि 2024 विधान सभा चुनाव के बाद महायुति और खासकर अजीत की राकांपा (एनसीपी)
को मिली अनपेक्षित जीत के बाद बनी महायुति सरकार में अजीत ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक भुजबल को मंत्री नहीं बना कर सभी को चकित कर दिया था. जबकि 2024 विधानसभा चुनाव से पहले वाली सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में भुजबल अन्न एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री थे. लेकिन चुनाव के बाद बनी सीएम फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में अजीत ने धनंजय मुंडे को अन्न एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मंत्री बना दिया. लेकिन कुछ ही महीनों में सरपंच संतोष देशमुख मर्डर केस की वजह से पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे को मंत्री पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद फिर अटकलें लगाई जाने लगीं कि भुजबल को अब तो मंत्री बना ही दिया जाएगा. लेकिन लगभग दो महीने अजीत ने विभाग अपने पास ही रखा और अब अचानक भुजबल को मंत्री बना दिया गया. हालांकि उन्हें विभाग अभी भी नहीं दिया गया है.
इसलिए पालक मंत्री पद मिलने की है उम्मीद
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि भुजबल को अचानक मंत्री बीजेपी ने बनाया है. इस निर्णय से अजीत नाराज हैं. डीसीएम अजीत ने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे के साथ बुधवार को सीएम फडणवीस से मुलाकात भी की थी. गुरुवार को भुजबल ने सीएम फडणवीस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद कह कर ये संकेत दे दिए कि उन्हें मंत्री पद बीजेपी से घनिष्ठता के कारण मिला है. भुजबल ने कहा कि सीएम देवेंद्र ने अजीत से मुझे मंत्री बनाने को कहा था. लेकिन दुर्भाग्य से उस समय ऐसा नहीं हुआ. मुझे मंत्री नहीं बनाए जाने पर खुद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने हैरानी जताई थी. नासिक दौरे पर मेरा नाम लिस्ट में शामिल नहीं होने के बाद भी शाह ने मुझे अपने बगल में बैठाया था. भुजबल ने यह भी कहा कि मोदी, शाह और फडणवीस ने मुझे आत्मीयता के साथ धैर्य रखने की सलाह दी थी. बीजेपी से अपने अच्छे संबंधों का उदाहरण देते हुए भुजबल ने यह भी कहा कि मैने ओबीसी जाति जनगणना की मांग थी और पीएम मोदी इस पर सहमत हो गए. उन्होंने कहा कि मैने सीएम फडणवीस से मुलाकात करके कहा था कि ओबीसी समाज हमारा डीएनए है.
भुजबल ऐसे बन सकते हैं पालक मंत्री
फिलहाल बीजेपी ने नासिक जिले का पालकमंत्री फडणवीस के करीबी मंत्री गिरीश महाजन को बनाया है. डीसीएम शिंदे की शिवसेना के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भूसे भी नासिक जिले का पालकमंत्री बनाना चाहते हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि बीजेपी वरिष्ठता के आधार पर भुजबल को पालक मंत्री बनाकर गिरीश महाजन को कुंभ मेला की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे सकती है. हालांकि एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुनील तटकरे ने इस पर बड़ी टिप्पणी की है. नासिक का संरक्षक मंत्री कौन होगा, का जवाब देते हुए डीसीएम अजीत की राकांपा के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष तटकरे ने कहा कि भुजबल को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल करने और नासिक के पालक मंत्री बनने के बीच कोई संबंध नहीं है. इन दोनों जिलों के पालक मंत्री का पद निलंबित कर दिया गया है. राकांपा चाहती है कि इस मामले पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए.