मुंबई. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार 68 प्रतिष्ठित हस्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके असाधारण कार्य के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. इनमें महाराष्ट्र के छह गणमान्य व्यक्ति शामिल हैं. पद्म पुरस्कारों के दूसरे और अंतिम बैच को राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को आयोजित समारोह में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ अन्य केंद्रीय मंत्री और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. पुरस्कार समारोह में राज्य की छह प्रतिष्ठित हस्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मनोहर जोशी को सार्वजनिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण (मरणोपरांत) पुरस्कार से सम्मानित किया गया. रायगढ़ जिले के एक शहर नंदवी में जन्मे डॉक्टर जोशी ने शिक्षा, अनुशासन और कुशल नेतृत्व से खुद को स्थापित किया था. उन्होंने अपने पांच दशक के राजनीतिक जीवन के दौरान मुंबई नगर निगम में एक पार्षद, महापौर, विधायक, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष की सभी जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया. वर्ष 1995 में वे महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने 2002 से 2004 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था.
पांच हस्तियों को पद्म श्री पुरस्कार
डॉक्टर जोशी को मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार के अलावा राष्ट्रपति मुर्मू ने महाराष्ट्र के 5 मान्यवरों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. इनमें अभिनेता अशोक सराफ, अच्युत पालव, अश्विनी भिडे-देशपांडे, सुभाष शर्मा और डॉ. विलास डांगरे शामिल हैं.
अशोक सराफः मराठी सिनेमा और बॉलीवुड में कॉमेडी के किंग के रूप में विख्यात दिग्गज अभिनेता अशोक सराफ को कला के क्षेत्र में उनके अनमोल योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान उनकी सहज अभिनय क्षमता के लिए मिला. अशोक सराफ की कई फिल्मों जैसे कि ‘अशी ही बनवा बनवी’, ‘धूम धड़ाका’, बाला चे बाप ब्रह्मचारी’ और ‘पंढरीची वारी’ को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला था. ‘अशी ही बनवा बनवी’ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपार सफलता मिली थी. फिल्म में उनका अभिनय यादगार था. अशोक सराफ की अभिनय क्षमता के कायल बॉलीवुड के लीजेंड अभिनेता दिलीप कुमार भी थे. ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार ने एक थिएटर प्रयोग के दौरान अशोक सराफ के अभिनय क्षमता की विशेष रूप से प्रशंसा की थी.
अच्युत पालवः देवनागरी लिपि की कला को पुनर्जीवित करने वाले प्रसिद्ध सुलेखाकार (कैलिग्राफर) अच्युत पालव को कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. उनकी रचनात्मकता प्रभावी रूप से देवनागरी लिपि की सुंदरता और अनुशासन को सामने लाती है. अच्युत पालव की कला शैली परंपरावाद के मूल को बनाए रखते हुए आधुनिकता के साथ तालमेल बिठाती है, जिससे अक्षरों को एक निश्चित आकार, संतुलन और कलात्मक स्पर्श मिलता है. उनके लेखन न केवल सुपाठ्यता को संरक्षित करते हैं, बल्कि सौंदर्य की दृष्टि से भी अक्षरों को एक नया आयाम देते हैं. वे न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देवनागरी लिपि का प्रचार और प्रचार करते हैं. उन्होंने विभिन्न देशों में कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों और संगोष्ठियों के माध्यम से देवनागरी लिपि की कला और इसकी विशेषताओं को प्रभावी ढंग से पेश किया है. इसके साथ-साथ, उनकी प्रकाशित पुस्तकों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ने देवनागरी लिपि को एक स्वतंत्र कला के रूप में प्रतिष्ठा दी है.
अश्विनी भिडे-देशपांडे: जयपुर-अतरौली घराने की ख्याल गायकी परंपरा की अग्रणी गायिका अश्विनी भिडे-देशपांडे को शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. बचपन से ही संगीत की शौकीन अश्विनी ने गंधर्व महाविद्यालय से “संगीत विशारद” के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. पंडित नारायणराव दातार और उनकी मां माणिक भिडे के मार्गदर्शन में उन्होंने जयपुर घराने का गहन अध्ययन किया. उनकी प्रस्तुतियाँ रागों, भावों और लयकारी के सौंदर्य विन्यास का एक अनूठा संश्लेषण प्रस्तुत करती हैं. उन्होंने शास्त्रीय गायन के साथ-साथ ठुमरी, भजन और अभंग में महारत हासिल की है. उनके एल्बम एचएमवी सहित कई प्रतिष्ठित संगीत कंपनियों के माध्यम से जारी किए गए हैं. उन्हें “राष्ट्रीय कालिदास सम्मान” (2016), “संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार” (2015), “राष्ट्रीय कुमार गंधर्व सम्मान” (2005) जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. आज भी, वह अपने गायन, शिक्षण और कार्यशालाओं के माध्यम से ख्याल गायन की परंपरा को समृद्ध करना जारी रखती हैं.
सुभाष शर्मा: यवतमाल जिले के एक प्रगतिशील किसान सुभाष शर्मा को कृषि के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. वे प्राकृतिक खेती के विभिन्न तरीकों को अपनाकर हजारों किसानों को प्रेरित और मार्गदर्शन कर रहे हैं. सुभाष शर्मा के पिता खेतूलाल का 16 एकड़ का खेत उनकी मृत्यु के बाद उनके पास आया था. हालाँकि, 2011 में, उन्होंने अपना पैतृक खेत बेच दिया और तिवसा उपनगर में 16 एकड़ जमीन खरीदी. उन्होंने नई भूमि पर प्राकृतिक खेती के साथ प्रयोग करना शुरू किया. मिट्टी की उर्वरता तकनीकों, फसल नियोजन और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के कारण उनकी खेती देश भर के किसानों के लिए एक आदर्श बन गई. निरंतर प्रयोग और दृढ़ता के साथ, उन्होंने कृषि में नवाचार किया. कृषि के क्षेत्र में उनके संघर्ष, अभिनव दृष्टिकोण और योगदान को पहचानते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.
डॉ. विलास डांगरे: 70 वर्षीय डॉ. विलास डांगरे को चिकित्सा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्होंने होम्योपैथी के माध्यम से जरूरतमंदों की स्वास्थ्य सेवा में अद्वितीय योगदान दिया है. वे अपने नाड़ी-परीक्षण कौशल के कारण एक प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप में विख्यात हैं. विशेष रूप से 2014 में नागपुर के कस्तूरचंद पार्क में एक रैली के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने में परेशानी हुई थी, तब डॉ. डांगरे के होम्योपैथी उपचार से उनकी आवाज को जल्द ही ठीक कर दिया था. नागपुर में उनका क्लीनिक जरूरतमंद रोगियों के लिए आश्रय स्थल रहा है और अब तक एक लाख से अधिक रोगियों का इलाज कर चुका है. उल्लेखनीय यह है कि वह 10 साल से दृष्टिबाधित हैं. इसके बावजूद, वे रोगियों को अपनी अनमोल सेवाएं प्रदान करते रहे हैं.
दो चरणों में संपन्न हुआ पद्म पुरस्कार समारोह
इस वर्ष का पद्म पुरस्कार समारोह दो चरणों में आयोजित किया गया था. पहले चरण में 4 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 57 पद्म श्री पुरस्कारों सहित 71 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. शेष 68 पद्म पुरस्कार मंगलवार वितरित किए गए. इनमें 3 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 56 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं. इस तरह से दो चरणों में 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए गए.