मुंबई. विरार पश्चिम स्थित अर्नाला क्षेत्र में 24 साल पहले कत्ल की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है. हैरानी की बात ये है कि कातिल घटनास्थल से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी में रहता थे लेकिन कत्ल का कारण और कातिल का ठिकाना ढूंढने में पुलिस को 24 साल लग गए.
मिली जानकारी के अनुसार, 14 अक्टूबर 2001 की शाम 4.20 बजे विरार पश्चिम के विरार-आगासी रोड स्थित डॉ. कोली क्लिनिक के पास 56 वर्षीय मोहर्रम अली मोहम्मद इब्राहिम अली को किसी ने धारदार शस्त्र से वार करके मौत के घाट उतार दिया था. मोहर्रम अली, विरार पश्चिम स्थित अर्नाला के शांति नगर इलाके का निवासी था. हमलावर ने उसके पेट पर धारदार शस्त्र से वार किया था. बुरी तरह से जख्मी मोहर्रम की संजीवनी अस्पताल में मौत हो गई थी.
शिनाख्त के बावजूद गिरफ्त से दूर रहा हत्यारा
विरार पुलिस स्टेशन में मोहर्रम अली की हत्या के मामले में अज्ञात हत्यारे के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. मामले की जांच कर रहे पीएसआई एम जी खैरनार ने ये तो पता कर लिया था कि 43 वर्षीय हारून अली मुस्तकीम अली सैयद ने मोहर्रम को मौत के घाट उतारा था. विरार में हुए कत्ल के मामले में मूलरूप से यूपी के अहमदपुर निवासी आरोपी हारून को ढूंढने की विरार पुलिस ने हरसंभव कोशिशें की लेकिन हारून पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा.
क्राइम ब्रांच को मिली कामयाबी
करीब 5 महीने पहले पुराने अनसुलझे अपराधों की फाइलों को खंगालने के दौरान मोहर्रम मर्डर केस पालघर क्राइम ब्रांच के आला अधिकारियों के संज्ञान में आया. जिसके बाद क्राइम ब्रांच यूनिट 3 की टीम को हारून की तलाशी का जिम्मा दिया गया. यूनिट 3 की टीम हारून की गिरफ्तारी के लिए लगातार 5 महीने मेहनत करती रही और टीम की मेहनत रंग लाई. यूनिट 3 के अधिकारियों को पता चला कि जिस हारून की तलाश में पुलिस पालघर से यूपी तक की खाक छान चुकी है, वह विरार से कुछ किलो मीटर की दूरी पर वसई इलाके में पहचान बदल कर रह रहा था. यूनिट 3 की टीम ने उसे वसई पूर्व के तलासरी क्षेत्र स्थित नीलकंठ इंडस्ट्रियल इस्टेट से गिरफ्तार कर लिया.
रिक्शे के किराए के लिए हुआ था विवाद
हारून ने जांच अधिकारियों को बताया कि वह मूलरूप से यूपी के कन्नौज जिले का निवासी है. 24 साल पहले वह विरार – पश्चिम इलाके में ऑटो रिक्शा चलाता था. उस दौरान किराए को लेकर उसकी मोहर्रम से कहासुनी हो गई थी. जिसके बाद उसने मोहर्रम पर चाकू से हमला किया था.