देवशयनी एकादशी आज : चातुर्मास नहीं होंगे शुभ कार्य
भगवान विष्णु को एकादशी तिथि बहुत ही प्रिय है. साल में 24 एकादशी तिथि पड़ती है. इनमें देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि से भगवान विष्णु 4 महीने योग निद्रा में चले जाते हैं अर्थात क्षीरसागर में विश्राम करते हैं और सीधे प्रबोधिनी यानी देवउठनी एकादशी, (जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं) पर जागते हैं. इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान महादेव करते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है. चातुर्मास के दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्यों मसलन विवाह, गृह प्रवेश आदि पर रोक लग जाती है.
देवशयनी एकादशी वैष्णवों और भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखती है. यह प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के ठीक बाद मनाई जाती है और चातुर्मास की शुरुआत होती है. चातुर्मास आध्यात्मिक चिंतन, भक्ति और ध्यान लगाने का समय माना जाता है. इस दिन सभी भक्त एकादशी व्रत (उपवास) रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विष्णु सहस्रनाम का जाप भी करते हैं. यह दिन भगवान विष्णु की योगनिद्रा के दौरान उनके संरक्षण में अपने मन और आत्मा को समर्पित करने का प्रतीक है.
देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी की तिथि 5 जुलाई को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 6 जुलाई को रात 9 बजकर 14 मिनट पर होगा. देवशयनी एकादशी के व्रत का पारण 7 जुलाई को सुबह 5 बजकर 29 मिनट से लेकर 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा.
देवशयनी एकादशी की पूजन विधि
इस दिन रात को विशेष विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें. फिर, उन्हें पीली वस्तुएं, विशेषकर पीला कपड़ा अर्पित करें. उसके बाद मंत्रों का जाप करें और आरती करें-‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्, विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचम्.’
देवशयनी एकादशी पर मिलेंगे वरदान
सामूहिक पापों और समस्याओं का नाश होता है. साथ ही, व्यक्ति का मन भी शुद्ध होता है. दुर्घटनाओं के योग भी टल जाते हैं. इस एकादशी के बाद से शरीर और मन को नया किया जा सकता है.
क्या सच में भगवान सो जाते हैं?
इस समय में सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति की ऊर्जा कम होती है, जिसे देवशयन कहा जाता है. इस दौरान तेज तत्व या शुभ शक्तियों का प्रभाव कमजोर होने से कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं और परिणाम शुभ नहीं होते हैं.