धनतेरस से दीपों का महापर्व दीपोत्सव प्रारंभ होता है, जो भाई दूज तक चलता है. यह त्योहार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस साल धन तेरस के दिन शनि प्रदोष का अत्यंत ही शुभ संयोग भी बन रहा है. अर्थात मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और धनवंतरी के साथ मां पार्वती इव शिव की भी कृपा बरसेगी. मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे. इसलिए धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी, माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा का विधान है. इससे स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ घर में समृद्धि आती है.
बन रहे हैं कई और शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस धनतेरस पर बुधादित्य राजयोग, हंस राजयोग और ब्रह्म योग का महासंगम होगा. इन तीनों योगों का संयोग अत्यंत दुर्लभ और अत्यधिक शुभ फलदायी माना गया है. उन्होंने बताया कि इस धनतेरस गुरु का गोचर अपनी उच्च राशि कर्क में होने से हंस राजयोग बनेगा जबकि सूर्य और बुध की युति कन्या राशि में होने से बुधादित्य राजयोग का निर्माण होगा. वहीं ग्रहों के अन्य शुभ संयोजन से ब्रह्म योग भी बन रहा है. पंडित झा ने बताया कि इन योगों के प्रभाव से मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक और मकर राशि वाले जातकों को विशेष रूप से आर्थिक लाभ, मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होगी.
अकाल मृत्यू से अभय देते हैं यमराज
धन तेरस के दिन घर में दीप जलाने और पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन धनतेरस की शाम को यमराज की पूजा भी की जाती है. पूजा के बाद घर के बाहर यम के नाम का दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं.
यमराज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या उन्हें लोगों की मृत्यु पर दया आती है. यमदूतों ने बताया कि एक बार एक राजा के पुत्र का विवाह हुआ, लेकिन चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने यमराज को भी प्रभावित किया. यमदूतों ने बताया कि अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर पूजा और दीपदान करना चाहिए.
सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त
धन तेरस के दिन सोने-चांदी के आभूषणों के साथ-साथ नए बर्तन और झाडू की खरीदारी भी शुभ फलदायी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धन तेरस के दिन शुभ मुहर्तों में सोना-चांदी, बर्तन आदि खरीदने से धन में वृद्धि होती है और समृद्धि की प्राप्ति होती है. धन तेरस के दिन सोने की खरीदारी के लिए अमृत काल को सबसे अच्छा समय माना गया है. 18 अक्टूबर को यह समय सुबह 8:50 से 10:33 बजे तक रहेगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अमृत काल के अलावा धन तेरस को दो और शुभ मुहूर्त धनतेरस पर खरीदारी के लिए उपलब्ध हैं. 18 अक्टूबर को दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11:43 से 12:28 बजे तक और तीसरा शाम 7:16 से 8:20 बजे तक रहेगा.
झाड़ू को खरीदने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन झाड़ू को खरीदना काफी शुभ बताया जाता है. हालांकि इस दिन खरीदे जानी वाली झाड़ू विशेष तौर पर खजूर के पत्तों या फिर घास-तिनकों से बनी होनी चाहिए. इसे खरीदने का शुभ समय सुबह का है. माना जाता है कि इस समय खरीदी जाने वाली झाड़ू घर में बरकत ले आती है. गलती से भी झाड़ू सूर्यास्त के बाद नहीं खरीदनी चाहिए. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि धनतेरस पर कभी भी प्लास्टिक इत्यादि से बनी झाड़ू नहीं खरीदनी चाहिए
इस दिशा में रखें झाड़ू
झाड़ू से जुड़े वास्तु नियमों का जरूर से पालन करना चाहिए. मान्यता है कि अगर झाड़ू को गलत दिशा में रखा जाए तो इससे वास्तु दोष भी लग सकता है. वास्तु शास्त्र के हिसाब से झाड़ू को हमेशा दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए. झाड़ू को रखने के लिए ये सबसे शुभ दिशा मानी जाती है. कहते हैं कि इस दिशा में झाड़ू रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है. शास्त्र के हिसाब से कभी भी झाड़ू को पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए. अगर गलत दिशा में झाड़ू रखी जाए तो इससे घर में नेगेटिव एनर्जी का वास होने लगता है. साथ ही वास्तु दोष का भी खतरा रहता है. धनतेरस पर खरीदी गई झाड़ू या फिर नॉर्मल झाड़ू को भी कभी भी मेन गेट या फिर पूजा घर के आसपास नहीं रखना चाहिए.
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रदोष काल को शुभ माना जाता है. 18 अक्टूबर को यह समय शाम 7:16 से 8:20 बजे तक रहेगा. इस दौरान आप भगवान धन्वंतरि की पूजा कर सकते हैं.
डिस्क्लेमर- इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं. विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.