मुंबई. सनातन धर्म को माननेवाले लोग शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि बहुत ही श्रद्धाभाव से मनाते हैं. खासकर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र के दौरान पूरा देश मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो जाता है. शारदीय नवरात्र के दौरान एक और चीज की धूम पूरे देश में देखने को मिलती है, वो है गुजरात का लोक नृत्य गरबा. इसी गरबा के लिए इस साल विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गरबा आयोजक मंडलों को कुछ सावधानी बरतने को कहा है. विहिप ने मंडलों से गरबा के दौरान प्रतिभागियों के समक्ष तीन शर्त रखने का सूझाव दिया है. विहिप ने मंडलों से कहा है कि प्रतिभागियों के आधार कार्ड की जांच करें, उन्हें तिलक लगाएं तथा उनसे मां दुर्गा के साथ-साथ वराह देवता का पूजन करवाएं.
विहिप का मानना है कि नवरात्रि के दौरान खेला जानेवाला गरबा और डांडिया सिर्फ हिंदुओं के लिए ही होता है. इसलिए गरबा में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश दिया जाना चाहिए. इसमें गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होना चाहिए. सीधे तौर पर ऐसी अपील करते हुए विश्व हिंदू परिषद ने आयोजकों से कहा है कि वे प्रतिभागियों के आधार कार्ड की जांच करें. उन्हें तिलक लगाएं और उनसे माता दुर्गा और वराह देवता की पूज करने को कहें. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गरबा खेलने वाला हिंदू ही है. इसके साथ-साथ ये मांग भी की गई है कि आयोजन स्थलों पर सीसीटीवी निगरानी रखी जाए, क्योंकि आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी ऐसे आयोजनों का फायदा उठाने का प्रयास कर सकते हैं.
जिहादियों के रडार पर गरबा!
विहिप का दावा है कि मां दुर्गा की उपासना के दौरान खेला जानेवाला गरबा जिहादियों के रडार पर रहता है. क्योंकि मुख्य रूप से गुजरात का लोकनृत्य माने जानेवाले गरबा और डांडिया में नवरात्रि के दौरान हिंदू महिलाएं और युवतियां विशेष रूप से भाग लेती हैं. इन्हीं महिलाओं युवतियों को (खासकर अमीर गुजराती महिलाओं और युवतियों) को लव जिहाद का शिकार बनाने के लिए जिहादी मानसिकता वाले कट्टरपंथी युवक भी गरबा खेलने आते हैं. विहिप का मानना है कि ऐसे अपनी बहन बेटियों को लव जिहाद का शिकार बनने से बचाने के लिए जिहादियों पर लगाम लगाना जरूरी है.