मुंबई : मुंबई एमएमआर में बढ़ती ट्रैफिक की समस्या के समाधान के लिए सरकार अब वाटर ट्रांसपोर्ट अर्थात समुद्र मार्ग को विकल्प बनाने के प्रयासों में जुटी है. लेकिन पालघर में समुद्र में घटित हुई घटना के बाद ऐसे सवाल उठने लगे हैं कि क्या समुद्री मार्ग यात्री परिवहन के लिए सुरक्षित है?
पालघर जिला अंतर्गत मुरबे बंदरगाह से 14 अगस्त की रात 9 बजे ‘जय श्री साई’ नौका में सवार 15 मछुआरे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने गए थे. समुद्र में 20:00:268 71:18:156 ई नॉटिकल मिल की दूरी पर लंगर डालने के बाद सिग्नल लाइट चालू करके
कुछ मछुआरे सो गए थे. तो वहीं नाव का तांडेल (कैप्टन) शेष मछुआरे मछली पकड़ने के लिए बिछाए लगाए जहाज की निगरानी कर रहा था. उसी दौरान वहां से गुजर रहे माल वाहक बड़े जहाज ने जय श्री साई नौका को जोरदार टक्कर मार दी. बड़े जहाज की जोरदार टक्कर से मछुआरों की नौका बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई. इस हादसे में 4 मछुआरे झटके से समुद्र में गिर गए.
मालवाहक जहाज ने जानबूझ कर मारी टक्कर!
रात करीब 9.30 बजे जय श्री साई नौका के कैप्टन ने सामने से एक बड़े मालवाहक जहाज को आते देखा. उन्होंने अपनी नाव की सभी लाइटें जला दीं और चिल्ला कर मालवाहक जहाज पर सवार लोगों को दिशा बदलने के लिए अलर्ट करने का प्रयास करने लगे. इसके बावजूद लापरवाह मालवाहक जहाज के चालक ने तेज रफ्तार से जय श्री साई नाव को सामने से टक्कर मार दी. इस हादसे की वजह से क्षतिग्रस्त हुए हंगल हिस्से से नौका में तेजी से पानी भरने लगा. तो वहीं समुद्र में गिरे मछुआरे अंधेरे में जान बचाने के लिए लहरों से संघर्ष करने लगे.
तांडेल की समझदारी से बची जान
इस मुश्किल घड़ी में तांडेल के निर्देश पर नाव में मौजूद मछुआरे एक तरफ नाव में भर रहे पानी को खाली करने में जुटे रहे तो वहीं तांडेल ने समझदारी दिखाते हुए अपने वायरलेस सेट से मुरबे में साइ प्रिया नाव के मालिक जितेंद्र राजेंद्र तरे से संपर्क किया और मदद मांगी. जिसके बाद जितेंद्र तरे और शांताराम ठाकरे तत्परता दिखाते हुए कुछ ही घंटों में अपनी नाव के साथ जय श्री साई नौका के पास पहुंच गए.
सकुशल मोरबे पहुंची जय श्री साई नौका
जितेंद्र तरे और शांताराम ठाकरे के साथ गए अन्य मछुआरों ने पहले पानी में गिरे जय श्री साई नौका के मछुआरों को जिंदा बचाया. तरे और ठाकरे ने बाद में एक तरफ अपने साथ लाए तथा क्षतिग्रस्त नौका में रखे प्लास्टिक, बोरे एवं अन्य सामग्रियों की मदद से जय श्री साई नौका में भर रहे पानी को रोकते और निकालने का प्रयास करते रहे तो वहीं दूसरी तरफ अपनी नौका से क्षतिग्रस्त नौका को रस्से से बांधकर किनारे पर लाने का प्रयास भी करते रहे. अंत में सभी मछुआरों के मेहनत और हौसले की जीत हुई. सभी मछुआरे क्षतिग्रस्त नौका के साथ शुक्रवार को 3.30 बजे सकुशल मोरबे बंदरगाह पहुंच गए हैं.
बेकार हुई जय श्री साई नौका
मोरबे के उप-सरपंच राकेश तरे ने मीडिया को बताया कि दुर्घटना में जय श्री साई नाव बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी और नाव अब मछली पकड़ने के लिए उपयुक्त नहीं बची है.
बढ़ते हादसों से खड़े हुए सवाल
समंदर में आए दिन घटित होने वाली ऐसी घटनाओं से ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या समुद्री मार्ग यात्री परिवहन के लिए सुरक्षित रह गए हैं? आइए देखते हैं मुंबई व आसपास के क्षेत्रों में हाल के कुछ महीनों में कितने और कैसे हादसे हुए हैं?
लहरों की चुनौती पड़ी भारी
27 जुलाई 2025 को अरब सागर में रायगढ़ जिले में एक नाव के पलट जाने से तीन मछुआरे लापता हो गए थे. उरण के करंजा से नाव अलीबाग के पास समुद्र में मछली पकड़ने गई थी. भारी बारिश और खराब मौसम के कारण नाव पलट गई. इस वजह से नाव पर सवार 8 मछुआरे पानी में गिरे. इनमें से 5 मछुआरे तैरकर अलीबाग तट पर पहुंच गए.
लहरों के कारण हुआ बोट में सुराख
11, अप्रैल 2025 को मुंबई और मांडवा के बीच बोट से सफर करने वाले यात्रियों का मौत से सामना हुआ था. गेटवे ऑफ इंडिया से मांडवा जा रही अजंता कंपनी की एक यात्री बोट शाम 5.30 बजे के करीब गंतव्य से लगभग एक किलोमीटर पहले हादसे का शिकार हो गई. तेज हवाओं और लहरों के कारण पानी में हिचकोले खा रही बोट में सुराख हो गया. जिसकी वजह से बोट में तेजी से पानी भरने लगा था. बोट पर सवार चालक दल के सदस्यों ने तुरंत मांडवा जेट्टी के अधिकारियों को बोट के हादसा ग्रस्त होने की सूचना दी और मदद की मांग की. मदद पहुंचने तक चालक दल के सदस्य बोट में भर रहे पानी को तेजी से खाली करने में जुट रहे तो वहीं 130 यात्रियों को भी ढाढस बंधाते रहे ताकि कोई यात्री कोई अप्रत्याशित कदम न उठा ले.
28 फरवरी 2025 को अरब सागर में अलीबाग के पास हादसा हो गया. वहां समुद्र में जा रही एक फिशिंग बोट में अचानक आग लग गई. नाव में करीब 18 लोग सवार थे. लेकिन जैसे ही आग लगी वैसे ही बोट को तुरंत किनारे पर लाया गया. गनीमत रही कि इसमें किसी को चोट नहीं आई.
पहले भी मारी थी कार्गो शिप ने टक्कर
28 दिसंबर 2024 को मालाड पश्चिम स्थित मड़ आई लैंड के पास चीनी मालवाहक जहाज (कार्गो शिप) ने मछुआरों की नौका को टक्कर मार दी थी.
एलिफेंटा में हुआ था बड़ा हादसा
उपरोक्त घटनाओं से पहले मुंबई से सटे पर्यटन स्थल एलिफेंटा द्वीप के पास नेवी की प्रशिक्षण नौका की यात्री बोट से बीच समुद्र में हुई टक्कर ने सभी को दहला दिया था. मुंबई के कोलाबा क्षेत्र अंतर्गत गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा जाने वाली नीलकमल नामक एक यात्री बोट 18 दिसंबर 2024 को हादसे का शिकार हो गई थी. नीलकमल बोट को बूचर द्वीप के पास नेवी की एक प्रशिक्षण बोट ने टक्कर मार दी थी, जिसकी वजह से नीलकमल बोट बीच समुद्र में पलट गई थी. हादसे के समय नीलकमल बोट में 110 यात्रियों एवं चालक दल के 20 सदस्यों सहित कुल 130 लोग सवार थे. हादसे में नेवी के 4 जवानों सहित नीलकमल पर सवार 9 यात्रियों की समुद्र में डूबने से मौत हो गई थी.