मुंबई. महाराष्ट्र में साइबर अपराध खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे डिजिटल धोखाधड़ी और ऑनलाइन आपराधिक गतिविधियों से निपटने में राज्य पुलिस की अक्षमता उजागर हुई है. आरटीआई एक्टिविस्ट जीतेंद्र घाडगे द्वारा दायर आरटीआई के तहत हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में साइबर अपराध के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी सबसे अधिक है. मामलों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, गिरफ्तारी और वित्तीय वसूली दोनों के मामले में पुलिस को न के बराबर कामयाबी मिली है.
वर्ष 2016 से अक्टूबर 2024 तक की वित्तीय धोखाधड़ी रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में 2,085 मामले दर्ज किए गए जबकि 2024 में अक्टूबर तक 6450 मामले दर्ज किए गए, जो दर्ज मामलों में तीन गुना वृद्धि दर्शाता है. वित्तीय धोखाधड़ी साइबर अपराध का सबसे आम प्रकार रहा है, जिसमें 2024 (अक्टूबर तक) में 811 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी वाले लेन-देन हुए, जो 2020 में 145 करोड़ रुपए से बहुत ज्यादा है. इसके बावजूद, चोरी की गई धनराशि की वसूली निराशाजनक बनी हुई है, 2024 में केवल 27.35 करोड़ रुपये ही बरामद हुए, जो इसी अवधि के दौरान चोरी की गई राशि का मात्र 3% है.
गिरफतारी और दोषसिद्धि बेहद कम
साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, गिरफ्तारियों की संख्या में तेज़ी नहीं आई है. डाटा से पता चलता है कि 2024 (अक्टूबर तक) में 2022 में 1,996 की तुलना में केवल 667 गिरफ्तारियां की गईं, जो पुलिस कार्रवाई में भारी कमी को दर्शाता है. साइबर अपराधों की पहचान दर में भी गिरावट देखी गई है, 2023 में केवल 337 मामलों का पता लगाया गया, जो 2021 में 973 से कम है.
महाराष्ट्र के सबसे अधिक प्रभावित शहर
महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे और ठाणे साइबर अपराध के केंद्र बने रहे हैं. अकेले 2024 में, मुंबई में 54,836 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि पुणे और ठाणे में क्रमशः 26,332 और 23,148 शिकायतें दर्ज की गईं. नवी मुंबई और पिंपरी-चिंचवाड़ में भी साइबर अपराध की घटनाओं में खतरनाक उछाल देखा गया है. 2023 के लिए साइबर अपराध के मामलों के डाटा से पता चलता है कि एनसीआरबी पोर्टल पर दर्ज की गई शिकायतें, दर्ज किए गए मामलों और सफल पहचान के बीच एक चिंताजनक अंतर है. कुल 1,69,343 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 8,167 मामले तीन प्राथमिक कानूनों के तहत दर्ज किए गए है. सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), और विशेष और स्थानीय कानून (एसएलएल)। हालांकि, अब तक केवल 1,422 मामलों का पता चला है, जिसके परिणामस्वरूप 1,602 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई है.
आर्थिक अपराध के सर्वाधिक मामले
डाटा ऑनलाइन धोखाधड़ी को सबसे आम साइबर अपराध के रूप में उजागर करते हैं. आईपीसी की धारा 420, जो धोखाधड़ी और बेईमानी से संबंधित है, के तहत 3,076 मामले दर्ज किए गए. रिपोर्ट की उच्च संख्या के बावजूद, केवल 345 मामलों का पता चला, और इन अपराधों के संबंध में 457 गिरफ्तारियां की गईं. खतरनाक रूप से, 2023 में साइबर अपराध के मामलों की कुल पहचान दर केवल 17% है, जो डिजिटल अपराधों से निपटने में चुनौतियों को रेखांकित करती है. विशेष रूप से चिंता की बात यह है कि 2020 से 2024 तक ऑनलाइन गतिविधि से जुड़े आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत 19 मामले दर्ज किए गए हैं.
अधिकांश मामलों में एफआईआर नहीं
यंग व्हिसलब्लोअर फाउंडेशन के जीतेंद्र घाडगे के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी के कारण लाखों नागरिकों और व्यवसायों को गंभीर वित्तीय नुकसान हुआ है. दुर्भाग्य से, केवल मुट्ठी भर मामले ही दर्ज किए जाते हैं, जबकि अधिकांश शिकायतें कभी भी एफआईआर में नहीं बदल पाती हैं. नतीजतन, वे नागरिकों को उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई कभी भी नहीं मिल पाती है. घाडगे कहते हैं कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारी वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने की होनी चाहिए, न कि केवल उन अपराधियों पर नजर रखने की, जो इन अपराधों को करने के लिए परिष्कृत तरीकों का इस्तेमाल करके अंजाम दे रहे हैं. बैंकिंग प्रणाली में सुधार की जरूरत है, खासकर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले खातों को ब्लॉक करने के लिए, और नागरिकों के बीच अधिक जागरूकता पैदा की जानी चाहिए.
