मार्च से मनपा देगी मिट्टी,
100 रुपए में करें जगह का रजिस्ट्रेशन
मुंबई. माघी गणेश उत्सव के दौरान पीओपी से बनी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर हुए बवाल के बाद इसी साल 27 अगस्त से 6 सितंबर के बीच मनाए जानेवाले गणेश चतुर्थी उत्सव के लिए महानगर पालिका (मनपा) ने अभी से गाइड लाइन जारी कर दी है. मनपा ने साफ शब्दों में कह दिया है कि आगे से शाडू मिट्टी से बनी मूर्ति के ही विसर्जन की अनुमति दी जाएगी. शाडू की मूर्तियों के निर्माण के लिए मूर्ति बनाने वाले कारिगर मनपा से जितनी चाहें, उतनी मिट्टी मुफ्त ले सकते हैं.
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों के समुद्र, नदी, झील या अन्य प्राकृतिक तालाब सरोवरों में विसर्जन पर पाबंदी लगा दी है. क्योंकि विसर्जन के बाद ये मूर्तियां पानी में विघटित नहीं होती हैं. इस वजह से मूर्तियों के बचे हुए अवशेष पूज्यनीय मूर्तियों के अपमान का कारण बनते हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने विसर्जन के बाद मूर्तियों की होने वाली अवहेलना को देखते हुए गणेशोत्सव के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. कोर्ट ने आदेश को सख्ती से अमल में लाने का निर्देश मनपा और पुलिस प्रशासन को दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल किए जाने की वजह से हाल ही में मालाड के मालवणी, कांदिवली आदि इलाकों में मूर्तियों का विसर्जन रुक गया था.
1 मार्च से रजिस्ट्रेशन
उपायुक्त प्रशांत सपकले ने कहा कि हर साल गणेशोत्सव से दो महीने पहले मंडलों का पंजीकरण शुरू होता है, जो कि इस साल छह महीने पहले यानी 1 मार्च से शुरू होगा और मूर्ति व्यापारी केवल 100 रुपए में जगह बुक कर सकेंगे.
भव्यता पर खतरा
मूर्तिकारों का कहना है मुंबई में मंडलों द्वारा बैठाई जाने वाली बड़ी मूर्तियों से गणेशोत्सव को भव्यता प्राप्त होती है. शाडू मिट्टी से बनी मूर्तियों के कारण त्योहार की रौनक समाप्त हो जाएगी. क्योंकि शाडू मिट्टी की बड़ी मूर्तियां स्थिरता प्रदान नहीं करेंगी. इसलिए बड़ी मूर्तियों के लिए उपयुक्त विकल्प प्रदान करना चाहिए ताकि सैकड़ों वर्षों की विशाल मूर्तियों की परंपरा को संरक्षित किया जा सके.
ऊंचाई पर निर्णय जल्द
मुंबई में लगभग बारह हजार सार्वजनिक गणेशोत्सव पंडाल हैं. इसके अलावा लगभग सवा लाख घरों में गणेशोत्सव मनाया जाता है. इसमें दो फुट ऊँची घरेलू मूर्तियाँ हैं. जबकि बड़े मंडलो की मूर्तियां 15 से 20 फीट लंबी होती हैं. बड़ी मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में संभव नहीं है. इस पर प्रशासन जल्द ही निर्णय लिया जाएगा.