मुंबई. कबूतर को दाना डालने पर लगाई गई पाबंदी इस बार मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ महायुति सरकार को भारी पड़ सकता है. क्योंकि जैन समुदाय ने अब सियासी जंग का ऐलान कर दिया है. बीजेपी नीत महायुति को सबक सिखाने के लिए जैन मुनि नीलेश चंद्र विजय ने ‘शांतिदूत जनकल्याण पार्टी’ नामक राजनीतिक पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. मुंबई में आयोजित एक पत्रकार परिषद में जैन मुनि दिनेश चंद्र ने कहा कि शांति दूत कहा जानेवाला कबूतर उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न होगा तथा उनकी पार्टी सभी वार्डों में अपने उम्मीदवार खड़े करेगी.
बता दें कि इसी 20 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुंबई महानगर पालिका ने सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध लगा दिया था.क्योंकि कबूतरों की बीट (मल) से सांस संबंधी बीमारियां और संक्रमण होने की संभावना होती है. लेकिन निर्णय का जैन समाज ने उग्र विरोध किया था. इस वजह से मुंबई में मराठी बनाम गुजराती विवाद भड़कने की आशंका उत्पन्न हो गई थी. इसी दौरान कई कबूतर मृत पाए गए थे. जैन समाज का आरोप है कि दाना नहीं मिलने से कबूतरों की भूख से मौत हो गई थी. जैनों के संगठन महावीर मिशन ने बीएमसी और सरकार को चुनौती दी है कि यदि कबूतरों के मसले का समाधान नहीं निकाला गया तो जैन समाज दिवाली के बाद अनशन- आंदोलन शुरू करेगा. वहीं उन मृत कबूतरों को श्रद्धांजलि देने के लिए शनिवार को जैन मिशन की ओर से दादर स्थित योगी सभागृह में ‘कबूतर बचाओ’ धर्म सम्मेलन का भी आयोजन किया था. इसमें जैन, हिंदू और बौद्ध धर्मगुरु एक मंच पर एकत्रित हुए. धर्मसभा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जैन मुनि नीलेश चंद्र ने राजनीतिक पार्टी बनाने तथा कबूतरों के लिए सियासी लड़ाई लड़ने की बात कही.
क्या कहा जैन मुनि ने?
जैन मुनि नीलेश चंद्र ने कहा कि जैन समाज सभी समुदायों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है. हमने महाराष्ट्र के बाढ़ पीड़ितों के लिए अभी दो करोड़ रुपए दान दिए हैं लेकिन हमारे मुद्दों के लिए कोई भी आगे आता नहीं दिख रहा है. इसलिए हमने एक राजनीतिक पार्टी बनाने का निर्णय लिया है. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बालासाहेब ने शिवसेना की स्थापना की और उनके बैनर पर बाघ का प्रतीक नजर आता है. बाघ मां जगदंबे का वाहन है. इसीलिए शिवसेना को जगदंबे का आशीर्वाद मिला. उन्होंने कहा कि हम केवल बालासाहेब ठाकरे, आनंद दिघे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का सम्मान करते हैं. हम किसी अन्य नेता का सम्मान नहीं करते. इसलिए हम वर्तमान शिवसेना के बारे में नहीं जानते. लेकिन कबूतर, जो शांति दूत है, हमारा प्रतीक होगा. उन्होंने यह भी बताया कि यह केवल जैनियों की पार्टी नहीं होगी, बल्कि राजस्थान के सभी 36 समुदाय, जितने भी मारवाड़ी और गुजराती हैं, एक साथ आएंगे और नगर पालिका में हमारे बाघों को खड़ा करेंगे.
आजादी के बाद से दादर में कबूतर खाने
नीलेश चंद्र विजय ने कहा कि आने वाले दिनों में कबूतर किसे डुबाएंगे, यह तो भगवान ही बता सकते हैं. क्योंकि हमारी पार्टी किसी एक समुदाय की नहीं है. आज कुत्ते और गाय सुरक्षित नहीं हैं. इसके बाद कल आप चूहों के पीछे पड़ेंगे, लेकिन वह भी भगवान गणेश का वाहन है. विकास के नाम पर लोगों ने पेड़ काटकर घर बना लिए, जिससे कबूतर बेघर हो गए. लेकिन भारत आजाद होने के बाद से दादर और अन्य जगहों पर कबूतरखाने हैं.