सनातन धर्म में पड़ने वाले व्रत और त्योहार में एकादशी व्रत का अपना खास महत्व माना गया है. एकादशी श्री हरि भगवान विष्णु को समर्पित दिन है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है और उपवास भी रखा जाता है. इससे प्रसन्न होकर श्रीहरि संतान सुख एवं मनवांछित फल प्रदान करते हैं.
साल में कुल 24 और हर महीने में दो बार आती है. पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे अजा और भीष्म एकादशी, ऐसे कई और नामों से भी जानते हैं. इस एकादशी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से दुखों का निवारण होता है. इस बार जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी को किया जाएगा.
क्या करें?
जया एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त में विष्णु भगवान की पूजा करें. इस दिन व्रत न रखा हो तो सात्विक भोजन करने की कोशिश करें. व्रत रखने से पूर्व व्रत रखने का संकल्प जरूर लें. व्रत के सभी नियमों का पालन करें. भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि बनाए रखने के लिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ होता है. पारण सूर्योदय के पाश्चात्य करना चाहिए. इस दिन भगवान का भजन-कीर्तन अवश्य करना चाहिए.
क्या नहीं करें?
चावल – जया एकादशी के दिन चावल का सेवन करने की मनाही है. मान्यता है कि चावल का सेवन करने से दोष लगता है.
तुलसी – तुलसी की पत्तियां विष्णु भगवान को बेहद प्रिय हैं, जिसके बिना भगवान को भोग नहीं लगाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी जी व्रत रखती हैं. इसलिए जया एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियों को न तो स्पर्श करना चाहिए और न ही इन्हें तोड़ना चाहिए.
मांस-मदिरा, काले कपड़े से परहेज –
इस दिन तामसिक भोजन के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इससे श्रीहरि विष्णु नाराज हो सकते हैं. इसलिए जया एकादशी के दिन मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े भी नहीं पहनने चाहिए.

डिस्क्लेमर: आलेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. हम इनकी सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकते हैं.