मुंबई. सनातन धर्म में तिथियों का खासकर अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. उस पर भी जब ये तिथियां सप्ताह के किसी विशिष्ट दिन पर पड़ जाती हैं तो इनका महत्व और भी बढ़ जाता है. ऐसी ही तिथियों में एक है शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या, जिसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहते हैं. इस तिथि को पितरों के श्राद्ध, तर्पण, का विशेष फल मिलता है. अर्थात लगभग एक सप्ताह बाद शुरू होने वाले पितरों के महापर्व पितृपक्ष से पहले पितरों को प्रसन्न करने का शुभ अवसर आज मिल गया है.
सनातन धर्म में भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसे पिठौरी अमावस्या और कुशाग्रहणी अमावस्या
भी कहते हैं. इस बार की पिठौरी अमावस्या इसलिए भी और खास हो गई है क्योंकि ये शनिवार के दिन पड़ रही है. इसलिए यह भाद्रपद अमावस्या को शनि या शनिश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी.
भाद्रपद अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त : पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या तिथि 22 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर शुरू हो गई है और 23 अगस्त, शनिवार को सुबह 11 बजकर 35 मिनट समाप्त होगी. लेकिन उदया तिथि के नियम की वजह से भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त को ही मनाई जाएगी. अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त 23 अगस्त को सुबह 4 बजकर 26 मिनट से 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. इस दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें. सूर्य देव को अर्घ्य दें. पितरों के लिए तर्पण करें. गरीब-जरूरतमंदों को दान दें.
ऐसे करें शनि देव को प्रसन्न : सनातन धर्म में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा गया है. वे इंसान को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. यदि कोई अच्छे कर्म करता है तो शनि देव खुश होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं लेकिन गलत कर्म करने पर शनि देव नाराज भी हो जाते हैं. ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि शनिश्चरी अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय करके रुष्ट शनि देव के कोप से बच सकते हैं.
ये हैं खास उपाय : शनि अमावस्या का दिन शनि देव की कृपा पाने और उनके प्रकोप से बचने के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन अगर शाम को कुछ खास उपाय करने से शनि दोष कम होता है और जीवन में खुशहाली आती है. शनि अमावस्या के दिन आप सवा मीटर काला कपड़ा लें और उसमें काली उड़द व काले तिल ले लें. साथ में सवा लीटर सरसों का तेल मिलाक र इसे किसी शनि मंदिर में दान कर दें. यह उपाय किसी भी व्यक्ति को रंक से राजा बना सकता है. लेकिन इस उपाय को करते समय आपको अपने दिमाग को शांत रखना चाहिए. मन में किसी के प्रति किसी भी प्रकार की दुर्भावना नहीं रखनी चाहिए और सच्चे मन की भावना से यह उपाय करना चाहिए. ये भी याद रखें कि ये उपाय शनिश्चरी अमावस्या की शाम में ही करना चाहिए. यह उपाय शनिश्चरी अमावस्या को दिन में या अगली सुबह बिलकुल भी न करना चाहिए. शनिवार की शाम उपाय करने से आप हर तरह के प्रकोप क्लेश, मुसीबतों से सुरक्षित रहने का रक्षा कवच मिल सकता है.
शनि अमावस्या के दिन ना करें ये काम
शनि अमावस्या बहुत खास दिन होता है. इस दिन की गईं कुछ गलतियां शनि देव को नाराज कर सकती हैं. साथ ही जीवन बर्बाद कर सकती हैं, लिहाजा शनि अमावस्या के दिन ये गलतियां ना करें.
नशा- शनि अमावस्या के दिन किसी भी तरह के नशीले पदार्थों, मांसाहारी भोजन और तामसिक भोजन का सेवन न करें. इससे शनि देव भी नाराज होंगे और पितृ भी अप्रसन्न होंगे.
झूठ या धोखा- वैसे तो किसी भी दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए, लेकिन शनि अमावस्या के दिन ऐसा करने की गलती ना करें. वरना न्याय के देवता शनि नाराज होकर कठोर दंड दे सकते हैं.
नए काम- शनि अमावस्या का दिन खरा दिन माना जाता है. इस दिन किसी भी नए काम की शुरुआत करना ठीक नहीं होता है.
रात में घूमना- अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां प्रबल रहती हैं. अमावस्या की रात को श्मशान घाट, कब्रिस्तान या सुनसान जगह पर ना जाएं.
नाखून-बाल काटना- शनि अमावस्या के दिन नाखून-बाल नहीं काटना चाहिए. इससे जीवन में नकारात्मकता बढ़ती है.
(डिस्क्लेमर – उपर्युक्त लेख में दी गई जानकारी सनातन धर्म से जुड़ी मान्यताओं के आधार पर यहां दी गई हैं. इसे प्रकाशित करने का मकसद अंध विश्वास फैलाना बिल्कुल भी नहीं है. इसी तरह ‘तह की बात’ इसकी सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता है.)