मुंबई. मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट 3 ने लोन पर वाहन खरीद कर बैंकों को करोड़ों का चूना लगाने वाले एक बड़े गैंग का राजफाश किया है. आरोपी अमीर लोगों की जानकारी जुटाकर फर्जी आधार, पैन कार्ड आदि बनाकर लोन पर महंगी कारें खरीदते थे. बाद में कारों की नंबर प्लेट, चेसिस नंबर आदि बदलने के बाद फर्जी दस्तावेजों बनाकर उन कारों को दूसरे राज्यों में बेच देते थे.
सिबिल स्कोर देखकर बनाते थे शिकार
शातिर ठगो का यह गिरोह जीएसटी भरने वालों की लिस्ट से शिकार का पैन नंबर हासिल करते थे बाद में उन पैन नंबरों अच्छे सिबिल स्कोर वाले लोगों डाटा जुटाते थे. जिन व्यापारियों के सिबिल स्कोर अच्छे होते थे उनके नाम पर नकली दस्तावेजों बनाते थे. आरोपी व्यापारियों के नाम पर उनके जीएसटी नंबर का उपयोग कर नकली दस्तावेज तैयार करते थे. उन दस्तावेजों मसलन पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि पर आरोपी अपनी तस्वीरें लगाते थे. फिर उने दस्तावेजों को मदद से किराए पर कमरा लेकर कार्यालय खोलते थे और लोन पर वाहन लेते थे. फिर इंजन नंबर और चेसिस नंबर बदलकर उन कारों को दूसरे राज्यों में बेच देते थे. इस अंतरराज्यीय गिरोह के तार दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश के तक फैले थे.
कई वाहन हुए बरामद
यह गिरोह कई बैंकों, व्यापारियों और कार खरीदने वालों को चूना लगा चुका है. इस गिरोह की निशानदेही पर पुलिस अब तक 16 वाहन जब्त किए गए हैं. जिनमे 1 बीएमडब्ल्यू ओपन टॉप कनवर्टिबल, 8 फॉर्च्यूनर एसयूवी और अन्य कारें शामिल हैं. जबकि पुलिस का अनुमान है कि वाहनों की संख्या 35 तक पहुंच सकती है. इस मामले की आगे जांच की जा रही है, क्योंकि रैकेट में शामिल आरोपियों पर विभिन्न राज्यों में कार चोरी में भी सक्रिय होने का आरोप है.
गिरफ्तार आरोपियों में से चार का पिछला आपराधिक रिकॉर्ड है. 3 आरोपी मुंबई और उपनगरीय क्षेत्र से हैं, कुछ गुजरात और एमपी से हैं और कुछ दिल्ली से हैं.
