मुंबई. प्राथमिक स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने के महायुति सरकार के निर्णय पर महाराष्ट्र में घमासान मच गया है. बुधवार को सरकारी आदेश जारी होने के बाद हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए राज ठाकरे और उनकी पार्टी ‘महाराष्ट्र नव निर्माण सेना’ (मनसे) आक्रामक विरोध पर उतर आई है तो वहीं कांग्रेस भी मनसे की बोली बोलती दिखी.
बता दें कि मुंबई मनपा सहित अन्य स्थानीय निकायों के चुनावों की सरगर्मियों के बीच राज्य के प्राथमिक स्कूलों (कक्षा 1 से 5 तक) हिंदी की पढ़ाई के ‘सरकार के निर्णय’ पर राज्य में सियासी घमासान मच गया है. क्योंकि महायुति सरकार ने नया जीआर जारी किया है, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक तौर पर तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने का सुझाव दिया गया है. मनसे और कांग्रेस सहित कुछ सियासी दलों व मराठी संगठनों ने इसका विरोध किया है. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि उच्च प्राथमिक स्कूलों में अर्थात कक्षा 6 के बाद स्कूलों में तीसरी भाषा पहले से पढ़ाई जाती है. लेकिन सरकार अब प्राथमिक स्कूलों अर्थात पहली कक्षा से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को क्यों थोपना चाहती है? इसके पीछे सीएम फडणवीस की क्या राजनीतिक मंशा छिपी है, पता नहीं. उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति में तीसरी भाषा का उल्लेख नहीं है. केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकारों को स्थानीय मुद्दों पर विचार करके निर्णय लेना चाहिए. राज्य में पहले ही शिक्षकों की भारी कमी है उस पर सरकार शिक्षकों पर एक और भाषा पढ़ाने का बोझ बढ़ाने जा रही है. ऐसा कहते हुए राज ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाने नहीं देंगे.

कांग्रेस बोली, मराठी के साथ गद्दारी है
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि सरकारी आदेश में शब्दों में हेराफेरी की गई है. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस हिंदी या किसी भी अन्य भाषा की विरोधी नहीं है. लेकिन शिक्षाविदों का कहना है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए. इसके बावजूद भाजपा हिंदी भाषा को जबरन थोपकर मराठी भाषा और संस्कृति को खत्म करना चाहती है. यह भाजपा और आरएसएस की साजिश है. कांग्रेस हिंदी अनिवार्यता के खिलाफ है और इसे लागू नहीं होने दिया जाएगा.
मराठी अनिवार्य, हिंदी वैकल्पिक
हिंदी के विरोध में भड़की सियासत पर स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भूसे ने कहा है कि स्कूली शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024 के अनुसार, अब से स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी पहली और अंग्रेजी दूसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी. जबकि हिंदी सामान्य रूप से तीसरी भाषा होगी. छात्र तीसरी भाषा के रूप में हिंदी के बजाय किसी एक अन्य भारतीय भाषा को सीखने का निर्णय ले सकते हैं. उन्हें उस भाषा को तीसरी भाषा के रूप में सीखने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि छात्र हिंदी के व्यतिरिक्त यदि किसी अन्य भाषा को तीसरी भाषा के रूप में सीखने की इच्छा व्यक्त करते हैं और उस कक्षा में कम से कम 20 छात्र वैसी इच्छा व्यक्त करते हैं तो उस भाषा को पढ़ने की अनुमति दी जाएगी और उन छात्रों के लिए शिक्षक का प्रबंध भी किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि प्रत्येक माध्यम के स्कूलों में मराठी पढ़ाना अनिवार्य होगा. मराठी नहीं पढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
महायुति ने किया निर्णय का समर्थन
प्राथमिक स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने के महायुति सरकार के निर्णय का महायुति के सभी घटक दलों ने समर्थन किया है.
विदेशी भाषा अंग्रेजी स्वीकार है हिंदी नहीं?
महाराष्ट्र की राज्य भाषा होने के कारण स्कूलों में मराठी की पढ़ाई अनिवार्य होनी ही चाहिए. इसमें कोई दो मत नहीं है. लेकिन सरकार के निर्णय का विरोध करने वाले मनसे और कांग्रेस के नेताओं को विदेश में जन्मी अंग्रेजी स्वीकार है लेकिन इसी देश की मिट्टी की भाषा हिंदी स्वीकार नहीं है, इस दोहरी मानसिकता पर हैरानी होती है. विरोध करने वालों के बच्चे अंग्रेजी माध्यम के कॉन्वेंट या इंटरनेशनल स्कूलों में पढ़ते हैं. ये लोग अपने बच्चों को फ्रेंच, जापानी व अन्य विदेशी भाषाएं पढ़ाते हैं. लेकिन हिंदी से इन्हें परहेज है. इनका वास्ता अंग्रेजी बोलने वालों से ही पड़ेगा लेकिन आम जनता के बच्चे हिंदी भाषा सीखते हैं तो भविष्य में उन्हें पूरे देश में कहीं भी रोजगार में सहूलियत होगी. विरोध करने वालों को मुंबई में बंद हुए मराठी स्कूलों पर जवाब देना चाहिए.
संजय निरुपम, पूर्व सांसद व उपनेता – शिवसेना (एकनाथ शिंदे)
ज्यादा से ज्यादा भाषा का ज्ञान लाभदायक
मराठी इस राज्य की राज्य भाषा है. उसका सम्मान होना ही चाहिए. उसकी पढ़ाई भी अनिवार्य होनी चाहिए लेकिन वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में ज्यादा से ज्यादा भाषाओं का ज्ञान से बच्चों को लाभ ही होगा.
सुनील तटकरे, प्रदेश अध्यक्ष – एनसीपी (अजीत पवार) महाराष्ट्र
हिंदी थोपने का आरोप गलत
राज्य के स्कूलों में अब कोई भी भारतीय भाषा तीसरी भाषा के रूप में चुनी जा सकती है. पहले हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब वह बाध्यता हटा ली गई है. राज्य में इंजीनियरिंग, एमबीए और मेडिकल शिक्षा मराठी भाषा में दी जा रही है. मराठी भाषा ज्ञान और अर्थव्यवस्था की भाषा के रूप में उभर रही है. लेकिन अन्य भारतीय भाषाओं की भी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों के सुझाव पर तीन-भाषा के फार्मूले को अपनाया है. केंद्र सरकार के तीन भाषा फॉर्मूले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार अदालत गई थी, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई. इस बारे में मैं राज से भी बात कर चुका हूं.
देवेंद्र फडणवीस -मुख्यमंत्री