देशविरोधी गतिविधियों में संलग्न संगठनों के खिलाफ ही विशेष जन सुरक्षा कानून
मुंबई. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विशेष जन सुरक्षा कानून देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में विश्वास दिया कि इस कानून के कारण पत्रकारों या किसी भी आम नागरिक को कोई परेशानी नहीं होगी, न ही उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई ठेस पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि यह कानून व्यक्तियों के लिए नहीं, बल्कि देशविरोधी कृत्यों में संलिप्त संगठनों के खिलाफ है.
सह्याद्री अतिथिगृह में राज्य के विभिन्न पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस प्रस्तावित कानून के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की और उनकी शंकाओं का समाधान किया। इस बैठक में मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल, सूचना एवं जनसंपर्क महासंचालनालय के प्रधान सचिव एवं महासंचालक ब्रिजेश सिंह, पुलिस महानिदेशक रश्मी शुक्ला, विशेष पुलिस महानिरीक्षक संदीप पाटील समेत विभिन्न पत्रकार संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे.
पत्रकार संगठनों ने व्यक्त की थी आशंका
प्रस्तावित महाराष्ट्र जन सुरक्षा कानून की कुछ धाराओं को लेकर पत्रकार संगठनों ने आशंका जताई थी. इसकी वजह से 12 संगठनों ने मिलकर ‘पत्रकार अभिव्यक्ति मंच’ की स्थापना की थी. बैठक में इन शंकाओं का निराकरण किया गया और यह स्पष्ट किया गया कि यह कानून देश की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से कितना उपयोगी है. मुख्यमंत्री ने सभी सवालों के विस्तारपूर्वक उत्तर दिए.
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि देश में तेलंगाना समेत चार राज्यों और केंद्र सरकार ने पहले ही इस प्रकार का जन सुरक्षा कानून लागू किया है. महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून इन सभी की तुलना में अधिक संरक्षित और पारदर्शी है. अनेक माओवादी संगठनों पर देश के विभिन्न हिस्सों में पहले से प्रतिबंध है. इन संगठनों ने अब अपना मुख्यालय महाराष्ट्र में स्थानांतरित कर लिया है और उनके फ्रंटल संगठन अब शहरी क्षेत्रों से कार्यरत हैं. यदि अब यह कानून नहीं लाया गया तो भविष्य में महाराष्ट्र को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून को विधिमंडल में प्रस्तुत करते समय इसे संयुक्त समिति को भेजा जाएगा और उस पर जन सुनवाई करवाई जाएगी, ताकि जनता में इस कानून को लेकर पारदर्शिता और स्पष्टता बनी रहे. पत्रकार संगठनों की यदि कोई रचनात्मक सुझाव हो, तो उन पर विचार कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. कानून की धाराओं में स्पष्टता लाने के लिए पूरी सावधानी बरती जाएगी.
सुनवाई के बाद ही कार्रवाई
मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई संगठन देश की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाला कोई अवैध कार्य करता है या माओवादी विचारधारा का प्रचार करता है, तो उस संगठन के खिलाफ कार्रवाई तभी की जा सकती है, जब तीन न्यायाधीशों की सलाहकार समिति के समक्ष सुनवाई हो और पुलिस को यह सिद्ध करना होगा कि संगठन का कार्य देश की आंतरिक सुरक्षा के खिलाफ है. केवल तभी उस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा और तभी सरकार को कार्यवाही का अधिकार मिलेगा. उन्होंने ये भी दोहराया सरकार इस कानून का दुरुपयोग नहीं कर सकती है. यह कानून किसी भी व्यक्ति या पत्रकार के खिलाफ नहीं है.
बैठक में उपस्थित थे निम्न पत्रकार संघ के प्रतिनिधि
बैठक में निम्नलिखित पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे:
एस. एम. देशमुख, मुख्य ट्रस्टी, अखिल भारतीय मराठी पत्रकार परिषद
इंदरकुमार जैन, सचिव, बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स
संदीप चव्हाण, मुंबई पत्रकार परिषद
दिलीप सपाटे, अध्यक्ष, मंत्रालय व विधिमंडल वार्ताहर संघ
यदू जोशी, अध्यक्ष, राज्य अधिस्वीकृती समिति
सौरभ शर्मा, प्रेस क्लब
अनुराग कांबळे, पत्रकार
राजकुमार सिंह, उपाध्यक्ष, मुंबई हिंदी पत्रकार संघ
मारुती मोरे, बृहन्मुंबई महापालिका वार्ताहर संघ
किशन काले, उपाध्यक्ष, पुणे श्रमिक पत्रकार संघ
विशाल सिंह, अध्यक्ष, मुंबई क्राईम रिपोर्टर संघ
प्रदीप मैत्र, अध्यक्ष, महाराष्ट्र श्रमिक पत्रकार संघ
किरण नाईक, ट्रस्टी, मराठी पत्रकार परिषद
पंकज दलवी, महासचिव, टीवी जर्नलिस्ट्स असोसिएशन
मनोज हलवाई, और अन्य विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.