मुंबई. मुंबई में सार्वजनिक शौचालयों पर स्वयंसेवी संगठन ‘प्रजा फाउंडेशन’ की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया दिया है. रिपोर्ट वस्तुनिष्ठ नहीं होने का दावा करते हुए मंत्री उदय सामंत ने विधान परिषद में कहा कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका (मनपा) सार्वजनिक स्वच्छता सुविधाओं के संदर्भ में ठोस कार्रवाई कर रही है. महाराष्ट्र विधान मंडल के मानसून सत्र के दौरान सदस्य सुनिल शिंदे ने सोमवार को विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत यह मुद्दा उठाया था. चर्चा में सदस्य चित्रा वाघ, प्रवीण दरेकर और सचिन अहीर ने भाग लिया था.
मंत्री सामंत ने कहा कि वर्तमान में मुंबई शहर में कुल 10,684 सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से 1,59,036 शौचालय उपलब्ध हैं. जनसंख्या के अनुपात के अनुसार, प्रत्येक 46 पुरुषों पर एक शौचालय और प्रत्येक 38 महिलाओं पर एक शौचालय उपलब्ध है. मनपा के 24 वार्डों में 1,476 सामुदायिक शौचालयों में से 1,221 शौचालय (82%) पानी से सुसज्जित हैं, जबकि 1,298 शौचालयों (88%) में बिजली कनेक्शन है. इसके अलावा, 734 शौचालय ‘भुगतान करो और उपयोग करो’ सिद्धांत पर आधारित हैं, जहां पानी और बिजली दोनों सुविधाएं नियमित रूप से उपलब्ध हैं.
ये थी प्रजा कि रिपोर्ट
मंत्री सामंत ने कहा कि गैर-सरकारी संगठन, प्रजा फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सार्वजनिक शौचालयों की संख्या और उपलब्ध सुविधाओं में गंभीर कमी है. लेकिन मनपा इस रिपोर्ट से सहमत नहीं है, क्योंकि रिपोर्ट में उल्लिखित आंकड़ों और तथ्यों में स्पष्ट अंतर है. स्वच्छ महाराष्ट्र अभियान (सिविल) 2.0 के अंतर्गत, बृहन्मुंबई नगर निगम को 14,166 शौचालय स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 11,166 शौचालय नगर निगम निधि से और शेष 3,000 शौचालय मिशन निधि से बनाए जा रहे हैं. इस निर्माण के लिए पहली किस्त वितरित की जा चुकी है. इसके अतिरिक्त, नगर स्वच्छता योजना के अनुसार 500 मूत्रालय स्वीकृत किए गए हैं. नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए मनपा के पास एक शिकायत निवारण प्रक्रिया है. इसमें सुधार के सुझाव भी दिए जाएंगे.
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