कोलाबा से नई मुंबई एयरपोर्ट 40 मिनट में!
मुंबई. गेटवे ऑफ इंडिया और रेडियो क्लब के बीच प्रस्तावित जेट्टी और टर्मिनल के निर्माण को बॉम्बे हाईकोर्ट की मंगलवार को हरी झंडी मिल गई. याचिकाओं पर बहस के दौरान प्रस्तावित परियोजना के समर्थन में राज्य सरकार से मिली जानकारी, क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय और परियोजना को दी गई मंजूरी का अध्ययन करने के बाद, मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने जेट्टी और टर्मिनल का विरोध करने वाली तीन अलग-अलग जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया. इससे इस जेट्टी के निर्माण का रास्ता साफ हो गया और जेट्टी के निर्माण के बाद कोलाबा से नवी मुंबई एयरपोर्ट 40 मिनट में पहुंचना संभव हो जाएगा.
क्लीन एंड हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन और कोलाबा निवासी लौरा डिसूजा तथा कफ परेड निवासी शबनम मिनवाला ने जेट्टी परियोजना का विरोध करते हुए दो याचिकाएं दायर किया था. याचिकाओं में दावा किया गया था कि जेट्टी और टर्मिनल के निर्माण से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा. क्षेत्र में यातायात जाम होगा और ऐतिहासिक धरोहर स्थल तक जनता की पहुंच सीमित होगी. अदालत ने सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए और परियोजना को हरी झंडी देते हुए तीनों याचिकाओं को खारिज कर दिया.
अदालत ने रखी हैं कुछ शर्ते
जेट्टी का मुख्य उद्देश्य यात्रियों को चढ़ाना और उतारना है और अन्य प्रस्तावित सुविधाएं परियोजना के सहायक हैं. इसलिए अदालत ने कुछ सातों के साथ जेट्टी को मंजूरी दी है. राज्य सरकार के जेट्टी और टर्मिनल बनाने के फैसले को सही ठहराने के बाद भी अदालत ने एम्फीथिएटर और कैफेटेरिया के इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें लगाई हैं. कोर्ट ने सरकार को इन शर्तों का सख्ती से पालन करने का निर्देश भी दिया है. अदालत ने कहा है कि जेट्टी पर प्रस्तावित एम्फीथिएटर का उपयोग केवल जेट्टी पर मौजूद यात्रियों के लिए ही किया जाना चाहिए, न कि दूसरों के मनोरंजन के लिए. साथ ही, कैफे का उपयोग केवल जेट्टी पर मौजूद यात्रियों को पानी और तैयार भोजन परोसने के लिए किया जाना चाहिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वहां बैठने की कोई सुविधा नहीं होनी चाहिए. अदालत ने परियोजना का विरोध करने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि नई जेट्टी के चालू होने के बाद, मौजूदा जेट्टी को नौसेना अधिकारियों की सिफारिश के अनुसार चरणों में बंद किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ताओं का क्या दावा था?
इस परियोजना की योजना 2014 से ही बनाई जा रही थी. हालाँकि, इसकी घोषणा पिछले जनवरी में की गई थी और प्रस्तावित योजना के दस्तावेज़ मार्च में जमा किए गए थे. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि परियोजना का शिलान्यास भी हो चुका है. प्रस्तावित जेट्टी ऐतिहासिक गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास बनाई जाएगी. इस परियोजना के लिए समुद्र के किनारे बनी 50 से 60 साल पुरानी सुरक्षा दीवार को कुछ हद तक ध्वस्त कर दिया गया है. मानसून के दौरान इस क्षेत्र में समुद्र की बड़ी लहरें उठती हैं. इसलिए, यदि मानसून के निकट आने पर सुरक्षा दीवार को ध्वस्त करने की अनुमति दी जाती है, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई है कि इस दीवार को ध्वस्त करने के पीछे क्या कारण है? परियोजना के लिए सुरक्षा दीवार को क्यों ध्वस्त किया जा रहा है? याचिकाकर्ताओं ने याचिका में यह सवाल भी उठाया था.
सरकार का तर्क
महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड ने याचिकाओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए और परियोजना का समर्थन करते हुए दावा किया कि प्रस्तावित जेट्टी परियोजना क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने और सुरक्षा उपायों में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. यह परियोजना गेटवे की सुंदरता में चार चाँद लगा देगी. पर्यटक बड़ी संख्या में फेरी बोट से मांडवा और अलीबाग आते-जाते हैं. इसलिए, गेटवे के पास से गुजरने वाली फेरी के कारण सुरक्षा का मुद्दा उठा है. वहीं दूसरी ओर, इस परियोजना के पीछे की मंशा यहां से यात्रा करने वालों को अच्छी और बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है. बोर्ड ने दावा किया था कि यह परियोजना गेटवे क्षेत्र में नई रौनक और सुंदरता लाने में मदद करेगी.
सुलभ होगा मुंबईकरों का जीवन!
भविष्य में समुद्री यात्रा के जरिए गेटवे ऑफ इंडिया क्षेत्र में होनेवाली भीड़, ट्रैफिक जाम से निपटने में रेडियो क्लब जेट्टी सहायक सिद्ध होगी. हम वहां के निवासियों से लगातार संवाद कर रहे थे. सभी अनुमतियां मिलने के बाद ही हमने इस कार्य की आधारशिला रखकर काम शुरू किया. इससे मुंबईकरों का जीवन सुलभ हो जाएगा. रेडियो क्लब जेट्टी समुद्री यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है. हम ऐसा मार्ग बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे हम नवी मुंबई हवाई अड्डे से रेडियो क्लब जेट्टी तक केवल 40 मिनट में पहुंच सकें. यहां 20 नावों और 150 कारों के लिए पार्किंग की सुविधा होगी.- नितेश राणे, मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री- महाराष्ट्र