मुंबई. भारत के खिलाफ जंग में पाकिस्तान को दिए गए सामरिक और भावनात्मक समर्थन के कारण तुर्किए, अजरबेजान आदि देशों का भारत में पुरजोर विरोध शुरू हो गया है. एक तरफ भारतीय पर्यटकों ने तुर्की, अजरबेजान एवं और उज्बेकिस्तान जैसे देशों के बॉयकॉट की घोषणा कर दी है. इतना ही नहीं भारत में तुर्किए, अजरबेजान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से संबंधित कंपनियों एवं उत्पादों के बहिष्कार की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. इसी माहौल में उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने सोमवार को छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (टर्मिनल 1) पर तुर्किए से संबद्ध कंपनी सेलेबी एनएएस के खिलाफ विशाल विरोध मोर्चा निकाला. इस मोर्चे के माध्यम से शिवसेना ने मांग की कि सरकार सेलेबी एनएएस कंपनी का प्रबंधन तुरंत अपने नियंत्रण में लेकर भारतीय कंपनियों को सौंपे.
10 दिनों का अल्टीमेटम
शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक मुरजी पटेल के मार्गदर्शन तथा क्षेत्र के विभागप्रमुख कुणाल सरमलकर के नेतृत्व में निकाले गए इस मोर्चे में विभाग के पदाधिकारी, कार्यकर्ता स्थानीय लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए. इस दौरान शिवसेना के विधायक मूरजी पटेल एवं विभाग प्रमुख कुणाल सरमलकर के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों से मिलने एयरपोर्ट के अंदर भी गया था. शिष्टमंडल की ओर से एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों को एक ज्ञापन देकर 10 दिनों में सेलेबी एनएएस का कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही में चेतावनी दी गई है कि यदि इन 10 दिनों में तुर्किए की कंपनी का कांट्रेक्ट रद्द नहीं किया जाता है तो शिवसेना की ओर से उग्र प्रदर्शन व चक्का जाम किया जाएगा.
ये काम करती है सेलेबी एनएएस
सेलेबी एनएएस कंपनी मुंबई एयरपोर्ट पर ग्राउंड स्टॉफ हैंडिलिंग का काम करती है. यह कंपनी खासकर उन छोटी एयरलाइंस के लिए काम करती है, जिनका अपना ग्राउंड स्टाफ नहीं है. इनमें अकासा एयरलाइन, तार्किस एयरलाइन और कई अन्य विदेशी एयरलाइंस शामिल हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न हुए युद्ध जैसे हालात में तुर्किए का पाकिस्तान को समर्थन देना बेहद खतरनाक है. ऐसे में देश के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों की जिम्मेदारी तुर्किए से संबद्ध कंपनी को देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बहुत बड़ी गलती भूल साबित हो सकती है. यह सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया एक मजबूत कदम है.
– कुणाल सरमलकर, विभाग प्रमुख – शिवसेना
पर्यटन से भी लगेगा झटका
गौरतलब हो तुर्की और अजरबेजान की जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है. उस पर उल्लेखनीय यह है कि इन देशों में जाने वाले 70 फीसदी विदेशी पर्यटक हिंदुस्तानी होते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष इसी सीजन में लगभग 37500 पर्यटक भारत से तुर्की गए थे. लेकिन बीते 3 दिनों में करीब 15 हजार पर्यटकों ने तुर्की का अपना टिकट कैंसिल कराया है. इन पर्यटकों ने अब बैंकॉक जाने का निर्णय लिया है. अगले कुछ दिनों में तुर्की का टिकट कैंसिल कराने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ कर 30 हजार तक पहुंच सकती है. क्योंकि कॉक्स एन्ड किंग, एसओटीसी और इज़ माय ट्रिप जैसी ट्रैवेल एजेंसियां और एयर इंडिया सहित कई एयरलाइंस कंपनियां तुर्की का टिकट कैंसिल कराने पर कोई शुल्क नहीं ले रही हैं. इंफोइंडिया के आकड़ों के मुताबिक साल 2024 में भारत से करीब 2.50 लाख पर्यटकों ने अजरबैजान की यात्रा की थी तो वहीं करीब 3 लाख टूरिस्ट भारत से तुर्की गए थे. एक अनुमान के हिसाब से यात्रा के दौरान हर यात्री औसतन करीब 1000 अमेरिकी डॉलर यानी 85,000 रुपए खर्चा किया होगा. इस तरह पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देशों को पिछले साल करीब 469 करोड़ रुपए की आय हुई थी.