मुंबई. दीपों का पर्व दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन घरों से लेकर मंदिरों में धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाती है. इस वर्ष दीपावली के अवसर पर दीपावली के दिन विशेष रूप से दुर्लभ और शुभ माना जानेवाला वैभव लक्ष्मी राज योग बन रहा है. कई सालों बाद दिवाली पर चंद्रमा और शुक्र के कन्या राशि में हो रहे मिलन से बनने वाला वैभव लक्ष्मी राज योग संपन्नता, सौभाग्य और समृद्धि का संकेत दे रहा है.
मान्यता है कि दिवाली के दिन संपूर्ण विधि विधान से मां लक्ष्मी का पूजन करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है. इससे घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य, प्रेम तथा यश-वैभव बना रहता है. मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास से अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था.
दिवाली का पूजा मुहूर्त
आम तौर पर सनातन धर्म में उदया तिथि के अनुसार, पूजा उपवास आदि की परंपरा है. लेकिन इस साल दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी. कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी. अगले दिन यानी 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर अमावस्या तिथि का समापन हो जाएगा. क्योंकि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन अमावस्या तिथि पर रात के समय ही किए जाने की परंपरा है, इसलिए लक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर को ही किया जाएगा. इस बार दिवाली को शाम 7 बजकर 8 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. वहीं निशिता काल मुहूर्त रात 11:41 से 12:31 बजे तक रहने वाला है.
दिवाली प्रदोष काल
ज्योतिषियों के मुताबिक 20 अक्टूबर 2025 को दिवाली पर प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा. इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश 06 बजकर 59 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.
ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन
दिवाली की रात पूरे साल की सबसे शुभ रात मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घरों में वास करती हैं, जिससे सुख समृद्धि में वृद्धि होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात मां लक्ष्मी घर-घर में भ्रमण करती हैं. जहां स्वच्छता, प्रकाश और श्रद्धा होती है, वहीं स्थायी रूप से वास करती हैं. इसलिए दिवाली से पहले घरों को पवित्र तरीके से साफ करने की परंपरा चली आ रही है. वहीं रात में मां लक्ष्मी की पूजा भी काफी श्रद्धा से की जाती है लेकिन उसके अगले दिन हमें ऐसी कोई गलती नहीं करनी चाहिए जिससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाए.
पूजन सामग्री
पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें. भगवान के वस्त्र और शहद शामिल करें. पूजन सामग्री में गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत, बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, कमल का फूल और हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद, रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए और रुई को शामिल करें.
लक्ष्मी पूजन विधि
लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई का खास महत्व है, इसलिए सभी जगह गंगाजल का छिड़काव करें. घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं. अब लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वप्रथम एक साफ चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं. अब चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें और सजावट का सामान से चौकी सजाएं. माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाएं और इस दौरान देवी को चुनरी अवश्य अर्पित करें. अब साफ कलश में जल भरें और चौकी के पास रखें दें. प्रथम पूज्य देवता का नाम लेते हुए भगवानों को तिलक लगाएं. लक्ष्मी-गणेश को फूल माला पहनाएं और ताजे फूल देवी को अर्पित करें. इस दौरान कमल का फूल चढ़ाना न भूलें. अब अक्षत, चांदी का सिक्का, फल और सभी मिठाई संग भोग अर्पित करें. यदि आपने किसी वस्तु या सोना-चांदी की खरीदारी की है, तो देवी लक्ष्मी के पास उसे रख दें. शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और इसके साथ ही घर के कोने में रखने के लिए कम से कम 21 दिए भी इसके साथ जलाएं. अब भगवान गणेश जी आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें देवी लक्ष्मी सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना करें. इसके उपरांत घर के सभी कोनों में दीपक रखें और तिजोरी में माता की पूजा में उपयोग किए फूल को रख दें. अंत में प्रार्थना करते हुए पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे.
दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
इन गलतियों से बचें
दिवाली की रात घर की सफाई और दीपों से वातावरण पवित्र होता है लेकिन अगले दिन सुबह झाड़ू लगाकर कचरा बाहर निकालना अशुभ माना गया है. कहा जाता है कि इससे मां लक्ष्मी का निवास भंग होता है और इसका सुख समृद्धि पर बुरा असर पड़ता है. सफाई करना चाहें तो दोपहर बाद करें.
पूजा के तुरंत बाद नहीं हटाएं मूर्तियां
दिवाली की रात मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और अन्य देवी-देवताओं की स्थापना पूरे विधि-विधान से की जाती है. पूजा के दौरान घर का वातावरण भक्ति, प्रकाश और सकारात्मकता से भर जाता है. लेकिन अक्सर लोग पूजा समाप्त होते ही मूर्तियां हटा देते हैं या उन्हें वापस रख देते हैं, जो बहुत बड़ी गलती मानी जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, पूजा के तुरंत बाद मूर्तियाँ हटाना या उन्हें अस्त-व्यस्त करना अशुभ होता है.
दीपक को तुरंत नहीं बुझाना चाहिए
मां लक्ष्मी के अनुष्ठान में घर में जलने वाली अखंड ज्योति मां लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक होता है. सुबह होते ही उस दीपक को एकदम से बुझा देना अशुभ माना जाता है. उन्हें अपने आप बुझने दें. इससे घर में स्थायी सुख और शांति बनी रहती है.
झगड़ा या नकारात्मक बातें नहीं करें
दिवाली के अगले दिन घर का माहौल शांत और शुभ रखना बहुत जरूरी है. क्रोध, झगड़ा या नकारात्मक बातें करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होती है. मान्यता है कि मां लक्ष्मी वहीं रहती हैं जहां खुशहाली हो.
पूजा स्थान को अस्त-व्यस्त न छोड़ें
दिवाली की पूजा के बाद अगर दीप, फूल या प्रसाद बिखरा रह जाए तो यह लापरवाही मानी जाती है. सुबह पूजा स्थान को सहेजें, साफ रखें और भगवान को फिर से प्रणाम करें. इससे शुभ फल लंबे समय तक बने रहते हैं.
पुराने या टूटे दीपक को फेंके नहीं
पूजा में इस्तेमाल किए गए दीपक, कलश या सजावट के पवित्र सामान को कूड़े में नहीं डालना चाहिए. उन्हें किसी पेड़ के नीचे, नदी या साफ जगह पर प्रवाहित करने की परंपरा है. ऐसा करने से पवित्रता बनी रहती है और लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है.
डिस्क्लेमर : इस आलेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए तह की बात जिम्मेदार नहीं है. कोई भी प्रयोग जानकारों के मार्गदर्शन तथा स्व विवेक के आधार पर ही करें.