मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को एक बार से एक बड़ी राजनीतिक घटना घटित हुई. मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे करीब 20 वर्षों बाद अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ कोई सियासी मंच साझा करते नजर आए. शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के समर्थक वर्षों से इस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहे थे.
किसी पार्टी के बैनर या झंडे के बिना ‘आवाज मराठी चा’ के बैनर तले आयोजित इस सभा में एनसीपी शरद चंद्र पवार की सांसद सुप्रिया सुले, विधायक जितेंद्र आव्हाड सहित कई अन्य सियासी दलों के नेता, मराठी समर्थक संगठन और लोग हजारों की संख्या में उपस्थित रहे. इस दौरान पहले मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे और फिर
यूबीटी के पक्ष प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य में सत्तारूढ़ देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली महायुति सरकार को मराठी भाषा के मुद्दे पर जमकर घेरा.
फडणवीस पर कसा तंज
मंच से राज ठाकरे ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वो कर दिखाया जो बालासाहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए. और ये काम है हमें दोनों भाइयों को एक साथ लाना. राज ने कहा कि थ्री लैंग्वेज पॉलिसी का असली मकसद मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना है. उन्होंने चेतावनी दी कि भाषा के बाद अगला मुद्दा जाति का होगा. भाजपा की रणनीति साफ है- ‘फूट डालो और राज करो’. उन्होंने विरोधियों द्वारा उनके बेटे अमित ठाकरे और उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई को लेकर उठाए गए सवालों को खारिज करते हुए कहा कि बाल ठाकरे ने भी अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़ाई की थी लेकिन कभी मराठी भाषा से समझौता नहीं किया.
अब साथ ही रहेंगे!
तो वहीं उद्धव ने ये संकेत दिए कि वे आने वाले नगर निगम चुनावों में साथ मिलकर लड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम अब साथ आए हैं, तो साथ रहेंगे. हम मिलकर मुंबई महापालिका और महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करेंगे. ये रैली हिंदी भाषा ‘थोपे’ जाने के खिलाफ और राज्य सरकार द्वारा सरकारी आदेश को वापस लेने के फैसले पर उत्सव मनाने के लिए आयोजित की गई थी. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह पूरे देश पर “हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान” का एजेंडा थोपने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, “हम हिंदुत्व की विचारधारा की रक्षा करेंगे, लेकिन मराठी भाषा में. उन्होंने इस दौरान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक बार फिर से ‘गद्दार’ करार दिया और कहा कि शिवसेना को तोड़कर भाजपा के साथ सत्ता पाने का उनका कदम महाराष्ट्र के साथ विश्वासघात था.
फडणवीस का पलटवार
राज के तंज पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी खास शैली में पलटवार किया. उन्होंने कहा कि राज ने दोनों भाइयों (उद्धव और राज) को 20 साल बाद साथ लाने का श्रेय मुझे दिया. इसके लिए मैं राज का शुक्रगुजार हूं. इससे ये साबित होता है कि मैं तोड़ता नहीं जोड़ता हूं. दोनोभाईयों को साथ लाने का बालासाहब का सपना मैने पूरा किया है. इसलिए पूज्य बाला साहेब का आशीर्वाद मुझे ही मिलेगा. उन्होंने उद्धव के भाषण की तुलना राजस्थान में मृत्यु पर विलाप के लिए आने वाली महिलाओं के क्रंदन से की. फडणवीस ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि मुझे बताया गया कि एक विजय सभा होने वाली है. लेकिन मुझे यहां भी रुदाली का विलाप ही सुनने को मिला. मराठी के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया. सिर्फ हमारी सरकार चली गई, हमारी सरकार को गिरा दिया, हमें शक्ति दें, चुनाव में हमें जिताएं. यह मराठी की जीत नहीं थी. यह रुदाली का रोना था. हमने उस सभा में रुदाली को देखा. दरअसल, मुंबई महानगर पालिका में बीते 25 वर्षों के शासन के बाद भी वह दिखाने लायक कुछ भी नहीं कर सके, यही कुंठा उन्हें परेशान करती है.