मुंबई. ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एवं राकां अजीत पवार के बीच सीटों के बंटवारे से मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण, मंत्रिमंडल विस्तार और पालक मंत्रियों की नियुक्ति तक रस्साकशी देखने को मिली. लेकिन सत्ता से सुख से वंचित रहे विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) का हाल भी कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है. मविआ में शामिल कांग्रेस और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी), राकां शरदचंद्र पवार के बीच सीटों के बंटवारे और सीएम पद को लेकर चुनाव से पहले खींचतान देखने को मिली था. तो वहीं चुनाव के बाद विपक्ष के नेता के पद पर बीते डेढ़ महीनों से घमासान चल रहा था. लेकिन मविआ में विपक्ष के नेता को लेकर चल रहे घमासान के खत्म होने के संकेत मिले हैं. दावा किया जा रहा है कि मविआ के घटक दलों के बीच डेढ़-डेढ़ साल के लिए विपक्ष के नेता के पद के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार 10 फीसदी विधायक की जरूरत होती है. ऐसे में नियमत: महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के लिए पार्टी के पद पर दावा ठोकने वाली पार्टी के पास कम से कम 29 विधायक होने जरूरी हैं लेकिन विधानसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र का कोई भी विपक्षी दल 29 के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया. इसलिए विपक्षी दलों को विपक्ष के नेता पद पर मविआ के रूप में सामूहिक रूप से दावा ठोंकने का सुझाव दिया गया. हालांकि विपक्ष की मांग को मंजूरी देना या न देना विधानसभा अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर होगा. विधानसभा अध्यक्ष ने नियमों के अनुसार काम करने की बात कही है. अर्थात विपक्ष को विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद मिलना मुश्किल ही है लेकिन इसके बाद भी शनिवार से पहले मविआ में विपक्ष के नेता के पद पर सहमति नहीं बन रही थी.    
ऐसा रहा पार्टियों का प्रदर्शन
 विस चुनाव में 288 विधानसभा सीटों में 132 सीटें जीतकर बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी. तो वहीं बीजेपी की सहयोगी शिवसेना (शिंदे गुट) 57 और राकां (अजीत पवार) 41 सीटें जीतकर क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर रही है. इस तरह से महायुति के विधायकों की संख्या 230 तक पहुंच गई है. दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन मविआ में शामिल शिवसेना यूबीटी को सर्वाधिक 20 जबकि कांग्रेस को 16 और राकां शरदचंद्र पवार को महज 10 सीटों पर ही जीत मिली है. इसके अलावा समाजवादी पार्टी के 2 विधायक जीते हैं. लेकिन पूरा विपक्षी खेमा 50 सीटों तक भी नहीं पहुंच पाया.

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