19 साल की दिव्या देशमुख ने FIDE वूमेन्स वर्ल्ड कप 2025 का खिताब जीत लिया है. ये ऐतिहासिक जीत उन्होंने अपनी हमवतन और कहीं अनुभवी दिग्गज ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को जॉर्जिया में सोमवार को हराकर हासिल की, जिससे वो शतरंज वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं.
क्लासिकल गेम्स में दोनों के बीच कड़ी टक्कर के बाद, रैपिड टाईब्रेकर में दिव्या ने हम्पी को 1.5-0.5 से मात देकर यह खिताब अपने नाम किया. फाइनल मुकाबले के दोनों क्लासिकल गेम्स ड्रॉ रहे. ऐसे में रैपिड टाईब्रेकर में मैच का फैसला हुआ. जहां दिव्या ने सटीक रणनीति और शानदार खेल की बदौलत हम्पी को शिकस्त दी और नया इतिहास रच दिया. इस जीत के साथ ही दिव्या देशमुख भारत की 88वीं और चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बन गई हैं. ग्रैंडमास्टर का खिताब किसी भी शतरंज खिलाड़ी के लिए सर्वोच्च उपलब्धियों में से एक होता है. वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट की जीत पर सीधे यह खिताब FIDE द्वारा दिया जाता है.

2026 महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए किया क्वालिफाई

FIDE वूमेन्स वर्ल्ड कप जीतने पर दिव्या देशमुख को इनामी राशि के रूप में करीब 43 लाख रुपए मिले. वहीं उपविजेता रहीं कोनेरू हम्पी को लगभग 30 लाख रुपए प्रदान किए गए. यह पहला मौका था जब टूर्नामेंट के फाइनल में दो भारतीय महिला खिलाड़ी आमने-सामने थीं. इस जीत के साथ ही दिव्या और हम्पी दोनों ने 2026 में होने वाले महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर लिया है. इस टूर्नामेंट से यह तय होगा कि मौजूदा विश्व चैंपियन जू वेनजुन को कौन चुनौती देगा.

बनी चौथी भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर

इस ऐतिहासिक खिताब तक पहुंचने का दिव्या का सफर बेहद रोमांचक और चुनौतीपूर्ण रहा. उन्होंने टूर्नामेंट में दूसरी वरीयता प्राप्त चीन की जिनेर झू को हराया, फिर भारत की डी. हरिका को मात दी. इसके बाद, पूर्व विश्व चैंपियन टैन झोंगयी को सेमीफाइनल में हराकर फाइनल में जगह बनाई. दिव्या देशमुख से पहले केवल तीन भारतीय महिला खिलाड़ियों को ग्रैंडमास्टर का दर्जा मिला है- कोनेरू हम्पी, हरिका द्रोणावल्ली और आर. वैशाली. अब दिव्या ने भी इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाकर भारतीय शतरंज को नई दिशा दी है.

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