मुंबई. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक पर्व भाई दूज गुरुवार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाई की लंबी आयु के लिए यम देवता की पूजा करती हैं. इसके बाद भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और हाथ में रक्षा सूत्र बांधती हैं वहीं, भाई अपनी बहन को रिक्शा का विश्वास दिलाते है तथा तोहफा भी देते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा एक साथ है. भाई दूज पर आयुष्मान और शिववास का बहुत ही शुभ और पवित्र संयोग बन रहा है.
इसलिए मनाते हैं भाई दूज
सनातन शास्त्रों में निहित है कि कालांतर में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यम देवता अपनी बहन यमुना जी के घर गये थे. उस समय यमुना जी ने अपने भाई यम देव का खूब आदर-सत्कार किया था. साथ ही पूजा कर भोजन भी कराया था. इससे प्रसन्न होकर भगवान यमराज ने यमुना को वचन दिया था कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा और बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसे भोजन कराएगी. वह अकाल मृत्यु की आशंका से मुक्त रहेगा. तभी से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है. ज्योतिषियों की मानें तो भाई दूज पर आयुष्मान और शिववास योग समेत कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में यम देव की पूजा करने से भाई को आरोग्यता और लंबी आयु का वरदान मिलेगा.

भाई दूज शुभ मुहूर्त:
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि गुरुवार 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 46 मिनट तक है. इसके बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुरू होगी. बहनें भाई दूज के दिन सुविधा अनुसार पर यम देव की पूजा कर सकती हैं.

टीके का शुभ समय
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से लेकर 03 बजकर 28 मिनट के मध्य टीका लगा सकती हैं. साथ ही रक्षा सूत्र बांध सकती हैं. कुल मिलाकर कहें तो भाई दूज के दिन टीका के लिए 2 घंटे 15 मिनट का शुभ मुहूर्त है.

आयुष्मान योग
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर सबसे पहले आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का समापन 24 अक्टूबर को सुबह 05 बजे होगा. इस योग में यम देवता की पूजा करने से साधक को अभयता का वरदान प्राप्त होगा.

शिववास योग
भाई दूज पर शिववास योग का भी संयोग है. इस योग का समापन रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा. इस शुभ अवसर पर भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां गौरी के साथ रहेंगे. शिववास योग के दौरान शिव परिवार की पूजा से सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे.

(अस्वीकरण: इस आलेख में दी गई जानकारी पंचांग, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं एवं प्रचलित मान्यताओं पर आधारित है. बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं. तह की बात इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता. अतः लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें तथा कोई भी प्रयोग स्व विवेक के आधार पर करें.)

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