मुंबई. महानगर की झुग्गी बस्तियों में लोगों का इलाज करनेवाले ‘मुन्ना भाई’ (फर्जी डॉक्टरों) की खबरें अक्सर पढ़ने, सुनने को मिल जाती हैं. लेकिन मुंबई महानगर पालिका (मनपा) द्वारा संचालित वीएन देसाई अस्पताल में फर्जी डॉक्टर का खुलासा होने के बाद मनपा प्रशासन में हड़कंप मच गया है. वी.एन. देसाई अस्पताल के आईसीयू डॉक्टरों की फर्जी शैक्षणिक योग्यता की खबरें विभिन्न समाचार पत्रों और मीडिया में आई हैं.
मनपा प्रशासन ने इस संबंध में स्पष्टीकरण दते हुए कहा है कि सांताक्रूज-पूर्व स्थित वी.एन. देसाई अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति हेतु प्रशिक्षित और योग्य मानव संसाधन उपलब्ध कराने हेतु ‘साईं संजीवनी’ के साथ एक समझौता किया था. इस समझौते के तहत, संस्था अस्पताल द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के अनुरूप चिकित्सा सेवा क्षेत्र में पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता वाले मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार थी. समझौते की शर्तों के अनुसार, डॉक्टरों का राज्य चिकित्सा परिषद (एमएमसी) और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) में पंजीकृत होना आवश्यक है.
जांच में फर्जी पाए गए दस्तावेज
मनपा प्रशासन का दावा है कि ठेकेदार संस्था द्वारा नियुक्त चिकित्सा मानव संसाधन की शैक्षणिक योग्यता संबंधी दस्तावेज सत्यापन के लिए फरवरी 2025 में महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद को भेजे गए थे. महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल द्वारा दिए गए फीडबैक के अनुसार, जिन डॉक्टरों के बारे में जानकारी मांगी गई थी, उनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी. महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल ने अनुबंध प्रक्रिया के दौरान इन डॉक्टरों द्वारा प्रस्तुत (एमएमसी) प्रमाण पत्र को भी अमान्य घोषित कर दिया है. तदनुसार, महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल से प्राप्त फीडबैक के तुरंत बाद साईं संजीवनी संस्था के विरुद्ध कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. इस संस्था के सभी प्रकार के वित्तीय बकाया नवंबर 2024 से निलंबित कर दिए गए हैं. संस्था के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के संबंध में अस्पताल प्रशासन ने मनपा के विधि विभाग से भी राय मांगी थी. तद्नुसार, वी.एन. देसाई अस्पताल प्रशासन ने संस्था को दो कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं. अस्पताल प्रशासन द्वारा तीसरा नोटिस जारी करने की प्रक्रिया जारी है.
अस्पताल ने पल्ला झाड़ा
वी.एन. देसाई अस्पताल प्रशासन के माध्यम से रोगी सेवाएं प्रदान करते समय मान्यता प्राप्त नियामक और कानूनी मामलों का क्रियान्वयन किया जाता है. अतः, अस्पताल प्रशासन एक बार फिर स्पष्ट करता है कि फर्जी डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई अनुमति नहीं दी गई है और वास्तव में, उक्त ठेकेदार संस्था के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई पहले ही शुरू की जा चुकी है. अस्पताल प्रशासन ने संबंधित संस्था द्वारा की गई फर्जी डॉक्टर नियुक्ति को पहले ही गंभीरता से लिया है और एक बार फिर स्पष्ट किया जा रहा है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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