मुंबई. मराठा समाज को ओबीसी कोटे से आरक्षण की मांग को लेकर आजाद मैदान पर अनशन पर बैठे आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल की हैदराबाद गजेटियर को लागू करने की मांग महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने मंगलवार को स्वीकार कर ली. मराठा आरक्षण पर मनोज जरांगे की मांगों के अनुरूप दस्तावेजों के अध्ययन एवं निष्कर्ष के लिए गठित मंत्री राधाकृष्ण विखेपाटिल की अध्यक्षता वाली उप समिति तथा सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति शिंदे की अगुवाई वाली समिति द्वारा तैयार किए गए मसौदे को जरांगे ने स्वीकार कर लिया. जिसके बाद महायुति सरकार ने जीआर (सरकारी आदेश) जारी कर दिया. इसके उपरांत जरांगे ने 5 दिन से जारी अपने अनशन को खत्म कर दिया. मंत्री विखेपाटिल ने उन्हें नींबू का शरबत पिला कर उनका अनशन खत्म करवाया. इस मौके पर मंत्री शिवेंद्र राजे भोसले, उदय सामंत, प्रताप सरनाईक, माणिकराव कोकाटे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
सरकार ने दी थी एक दिन की अनुमति
गौरतलब हो कि मनोज जरांगे पाटिल ने मुंबई में आंदोलन की घोषणा करीब 4 महीने पहले ही मीडिया में की थी. लेकिन 29 अगस्त से आंदोलन शुरू करने से पहले उन्होंने प्रशासन से अनुमति नहीं ली थी. इसलिए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे को मुंबई में आंदोलन की अनुमति देने से पहले ही इनकार कर दिया था. कोर्ट ने सरकार से नवी मुंबई के खारघर अथवा किसी अन्य इलाके में अनशन आंदोलन की अनुमति देने की छूट दी थी.
मनोज जरांगे की जीत!
कोर्ट के इनकार के बाद भी महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे को अधिकतम 5 हजार लोगों के साथ आजाद मैदान पर एक दिन के लिए आंदोलन की अनुमति दे दी. मनोज जरांगे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मांग मंजूर होने तक आजाद मैदान पर अनशन आंदोलन जारी रखेंगे. वह अपने करीब 60 हजार समर्थकों के साथ मुंबई (आजाद मैदान) पहुंच गए. इसके बाद आजाद मैदान सहित आसपास की सभी सड़कें, मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) स्टेशन मराठा आंदोलनकारियों से भर गया. एक तरह पूरा दक्षिण मुंबई आंदोलनकारियों के कारण जाम हो गया था. आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट गए तो वहीं साफ-सफाई एवं पीने के पानी, शौचालय आदि के प्रबंध के लिए मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और रेल प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ी. शुक्रवार से शुरू हुआ मनोज जरांगे का अनशन आंदोलन 5 दिनों तक खिंचने से मुंबईकरों को खासकर सोमवार के दिन काफी परेशानी झेलनी पड़ी. क्योंकि इस दिन सभी कार्यालय और स्कूल-कॉलेज खुल गए थे. लोग इस मनोज जरांगे की बड़ी जीत बता रहे हैं.
कोर्ट के हस्तक्षेप से बढ़ा दबाव
वकील गुणरत्न सदावर्ते इस मामले को हाईकोर्ट ले गए. सोमवार को अवकाश होने के बाद भी कोर्ट मामले की सुनवाई को तैयार हुआ और कोर्ट ने मनोज जरांगे के वकील को आंदोलन के कारण मुंबईकरों को हो रही परेशानी के लिए तो वहीं आंदोलनकारियों को मुंबईकरों की परेशानी का सबब बनने की छूट देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने 24 घंटे में सभी आंदोलनकारियों को मुंबई से बाहर निकालने का आदेश सरकार को दिया तथा मनोज जरांगे को मुंबई के बाहर अनशन की जगह देने का निर्देश सरकार को दिया. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी जरांगे ऊपरी तौर पर आजाद मैदान नहीं छोड़ने की जिद पर अड़े रहे. दूसरी तरफ कोर्ट के आदेश के बाद सरकार कड़ी कार्रवाई के संकेत देने लगी तो जरांगे पर और दबाव बढ़ गया था. इस बीच उपसमिति ने उचित मसौदा तैयार किया, जिस पर सहमति जता कर जरांगे ने भी टकराव टालने का काम किया.

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