किसानों के कृषि विवादों का स्थायी समाधान

मुंबई. राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने महाराष्ट्र में हजारों किसान परिवारों के बीच कृषि विवादों को सुलझाने वाली सलोखा (सामंजस्य) योजना को दो साल यानी 2027 तक बढ़ाने का फैसला किया है. राज्य के सैकड़ों किसानों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की है, क्योंकि सलोखा योजना भूमि स्वामित्व, अतिक्रमण, पारंपरिक विवादों और पारिवारिक दुश्मनी से जुड़े सैकड़ों विवादास्पद कृषि मामलों को सुलझाने में वरदान साबित हुई है.
कृषि विवादों को सुलझाने के लिए स्टैंप ड्यूटी और पंजीकरण की भारी लागत केवल 100 रुपये की मामूली राशि है। इस योजना के अंतर्गत 2,000 रु. इस योजना के तहत अब तक कृषि विवादों के 1,07 मामलों में संतोषजनक समाधान पाया गया है, जिनमें भूमि अदला-बदली के मामले भी शामिल हैं, जो कई परिवारों के बीच काफी जटिल थे। राजस्व विभाग ने इन किसानों के विवादों का स्थायी समाधान निकालने के लिए लगभग 8 करोड़ 99 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी राहत प्रदान की है।
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सलोखा योजना किसानों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इस योजना के प्रति किसानों का विश्वास बढ़ा है, क्योंकि उन्हें कम लागत में और शीघ्रता से विवादों को सुलझाने का अवसर मिलता है। सरकार भविष्य में भी किसानों के लाभ के लिए ऐसे उपाय लागू करने का इरादा रखती है।

-चंद्रशेखर बावनकुले, राजस्व मंत्री, महाराष्ट्र

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