मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति में उथल पुथल मचने की अटकलें पिछले लगभग दो महीनों से जोरों पर चल रही थी. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) और राज की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) तथा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी व शरद पवार की एनसीपी के विलय की अटकलें उसकी वजह थी. लेकिन एक तरफ राज की उदासीनता से यूबीटी-मनसे के विलय की संभावना धूमिल होती जा रही है तो वहीं अजीत की एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने शरद पवार की एनसीपी से विलय या गठजोड़ की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है.

गुरुवार को पार्टी के नरीमन पॉइंट स्थित प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में तटकरे ने कहा कि हमारे पास विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही ऐसी कोई बात चल रही है. आज की तारीख में हमारे स्तर पर इस विषय पर कोई चर्चा ही नहीं है. फिर इस पर टिप्पणी करने का क्या मतलब?

जिनको साथ आना है, वो आ सकते हैं

तटकरे ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को विलय संदर्भ में कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है और न ही हम कुछ ऐसा सोच रहे हैं. हम एनडीए का हिस्सा हैं और आगे भी रहेंगे, जो लोग इस विचारधारा के साथ चलना चाहते हैं, उनका पार्टी में स्वागत है. इसलिए विलय का कोई सवाल ही नहीं उठता. इसलिए इस पर टिप्पणी करना बेकार है. इस पत्रकार परिषद में राष्ट्रवादी कांग्रेस के कोषाध्यक्ष विधायक शिवाजीराव गर्जे, मुख्य प्रवक्ता आनंद परांजपे, प्रदेश प्रवक्ता संजय तटकरे, युवक प्रदेशाध्यक्ष सूरज चव्हाण और प्रदेश महासचिव लतीफ तांबोली उपस्थित थे.

बीजेपी के साथ गठबंधन की 2014 से चर्चा

तटकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि 2014 से ही वे कई बार कह चुके हैं कि भाजपा के साथ सरकार बनाने को लेकर कई बार चर्चा हुई थी, कुछ फैसले अंतिम चरण तक पहुंचे थे, लेकिन निर्णय नहीं हो पाए. इसलिए आज की हमारी भूमिका और ‘विलय’ दो अलग-अलग मुद्दे हैं. “मेरा या प्रफुल भाई का विरोध, यह मुद्दा ही नहीं है. असली बात यह है कि ऐसा कोई प्रस्ताव है ही नहीं. अगर आपके पास कोई जानकारी है तो बताइए, मैं दूरबीन लेकर ढूंढूंगा,” उन्होंने हँसते हुए मीडिया से कहा. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी में उनकी बात की अहमियत अलग विषय है, लेकिन सत्ता में शामिल होने का निर्णय अजीत पवार, प्रफुल भाई, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटील, हसन मुश्रीफ, सुनिल तटकरे, धनंजय मुंडे समेत सभी नेताओं ने मिलकर लिया था. विधायकों और जनता का साथ मिला.

जनता ने दिया जवाब

तटकरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद यह सवाल उठाया गया कि हम टिक पाएंगे या नहीं. कहा गया कि केवल ५-६ सीटें आएंगी. लेकिन हमने मेहनत की, जन सन्मान यात्रा निकाली. ‘लाडली बहन’ योजना लागू की. कई निर्णय लिए और शिव, शाहू, फुले, आंबेडकर के विचारों से जरा भी नहीं हटे. जनता का विश्वास जीता और भरपूर सीटें प्राप्त हुईं. अंत में उन्होंने कहा, “चुनाव के बाद उठे सभी सवालों का उत्तर जनता ने दे दिया है. उन्होंने मुस्कराते हुए पत्रकारों से कहा मैं प्रदेशाध्यक्ष के रूप में ‘अगर-मगर’ जैसे मुद्दों पर कोई बयान देना उचित नहीं समझता. पहले कोई ठोस प्रस्ताव सामने आए, फिर हम चर्चा करेंगे. जो चीज है ही नहीं, उस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. इसलिए अब हमें मीडिया में चल रही ‘सूत्रों की खबरों’ के स्रोत ही ढूंढने पड़ेंगे.

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