मुंबई. गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में रविवार (26 जनवरी) को अंधेरी-पश्चिम, यारी रोड स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (सीआईएफई) की ओर से फिश फेस्टिवल 2025 का भव्य आयोजन किया गया था. गीत-संगीत से सजे इस रंगारंग कार्यक्रम में भारत देश की विविधता में एकता की तस्वीर देखने को मिली. इस कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों की खासकर सी फुड यानी क्षेत्रीय मछली से बनाए जानेवाले लोकप्रिय एवं स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ लोगों ने जमकर उठाया. ‘फिश स्वाद 2025’ शीर्षक के तहत सीआईएफई के नए कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में गुजरात, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना, छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश, झारखंड, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, पूर्वोत्तर के राज्य, त्रिपुरा-आसाम, कश्मीर-उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड-राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु सहित 25 से अधिक फूड स्टॉल्स लोगों के आकर्षण का केंद्र बने.
आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), मुंबई द्वारा संस्थान के नए परिसर में आयोजित फिश स्वाद 3.0 के दौरान भारत के 26 राज्यों से संबंधित 100 से अधिक विभिन्न व्यंजनों को प्रदर्शित किया गया, जिनमें से तीन दर्जन से अधिक व्यंजन मछली आदि से बने थे. यह महोत्सव भारतीय राज्यों के स्वदेशी मछली व्यंजनों के बारे में लोकप्रिय बनाने और जागरूकता पैदा करने और ‘स्वास्थ्य के लिए मछली’ अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था. इस दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली के उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) डॉ आईसीएआर-सीआईएफई, मुंबई के निदेशक / कुलपति डॉ. सी.एन. रविशंकर ने मानव आहार में स्वस्थ प्रोटीन स्रोत के रूप में मछली को शामिल करने के महत्व की वकालत की और आईसीएआर-सीआईएफई के संयुक्त निदेशक डॉ. एन.पी. साहू ने लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ऐसे आयोजनों के महत्व पर प्रकाश डाला. यह कार्यक्रम आईसीएआर, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) और भारतीय मत्स्य संघ द्वारा प्रायोजित था. छात्रों, कर्मचारियों, पेशेवर गायकों, महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के कोली समुदाय और आदिवासी समुदाय के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम मछली के व्यंजनों के साथ आकर्षण का केंद्र रहे. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. स्वदेश प्रसाद के योगदान की सभी ने सराहना की.
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