विधायक पराग अलावणी की सरकार से मांग
मुंबई. बीजेपी विधायक पराग अलावणी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली महायुति सरकार से मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार उच्च न्यायालय में चल रही सुओ मोटो प्रोसिडिंग (स्वप्रेरित कार्यवाही) में अपनी राय पेश करने से पहले सरकार को एक बैठक बुलाकर मुंबई के विधायकों को विश्वास में ले. अलावणी ने उपरोक्त बातें विधानमंडल के बजट सत्र के 13 वें दिन शुक्रवार को आवास विभाग की बजटीय मांगों पर अपनी राय रखने के दौरान कही.
अलावणी ने कहा कि हालांकि सपना मुंबई में 40 लाख झुग्गीवासियों को पक्के घर देने का था. लेकिन 30 वर्षों में केवल 2.10 लाख लोगों को ही घर मिले हैं. स्लम पुनर्वास प्राधिकरण की सुस्त कार्यशैली के कारण काम बेहद धीमी रफ्तार से चल रहा है. इस प्रक्रिया के कारण, 2257 प्रस्तावों में से 1612 मामले वर्तमान में मुंबई उच्च न्यायालय में लंबित हैं.
विधायकों भी मिलना चाहिए मौका
विधायक अलावणी ने कहा लगातार बढ़ते मामलों के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने इसे गंभीरता से लिया है और बॉम्बे उच्च न्यायालय को कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए स्वतः कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है. तदनुसार, सरकार को इस मामले में अपनी राय व्यक्त करनी है. लेकिन अधिकारियों को राय व्यक्त करने का अवसर दिए जाने से पहले मुंबई के विधायकों की राय भी लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि झुग्गी-झोपड़ी घोषित करना, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की सूची तैयार करना. डेवलपर के चयन के समय बहुमत में कौन है? आदि सभी बातों में गड़बड़ी करना, ऐसा सब कुछ विले पार्ले स्थित अंतिम भूखंड़ संख्या 187, टाउन प्लान संख्या V पर साकार की जा रही झुग्गी पुनर्वास योजना में देखने को मिल रहा है. उन्होंने मांग की कि नगर नियोजन विभाग की अनापत्ति नहीं होने के बाद भी दिए गए अवैध एक्सेप्टेंस इसी तरह परिशिष्ट-2 नहीं होने के बाद भी दिए गए एलओआई को रद्द किया जाए.

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