मुंबई. डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर भोले भाले लोगों से उनके जीवन भर की जमापूंजी लूटना एक बड़ी समस्या बन गई है. ऐसे मामले में संलिप्त साइबर सेंधमारों को पकड़ना तो दूर रोकना ही पुलिस के लिए कठिन चुनौती साबित हो रहा है. ऐसी तमाम निराशाओं के बाद भी लखनऊ एसटीएफ ने एक सराहनीय कामयाबी हासिल की है.
एसटीएफ ने गोमती नगर निवासी बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर दो दिनों में 95 लाख रुपए की ठगी करने वाले दो भाइयों को ठाणे जिले से गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान मुहम्मद इकबाल बालासाहेब और शाइन इकबाल के रूप में सामने आई आई है.
दो महीने पहले दर्ज हुई शिकायत
एसटीएफ के एडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि आरोपियों ने पीड़ित डॉ. बीएन सिंह से कहा था कि उनके नाम का अवैध पार्सल पकड़ा गया है और इस तरह से गिरफ्तारी का डर दिखा कर आरोपियों ने पीड़ित को दो दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखकर उनसे 95 लाख रुपए ठग लिए थे. ठगी के इस मामले में अप्रैल माह में साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कराया था. साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए यूपी एसटीएफ से मदद मांगी थी. सर्विलांस की मदद से एसटीएफ को सूचना मिली कि ठगी की इस घटना को अंजाम देने वाले जालसाज महाराष्ट्र के ठाणे में मौजूद हैं. इस पर एसटीएफ ने मीरा रोड स्थित इराइजा बिल्डिंग के फ्लैट- 605 से दोनों आरोपी भाइयों (मुहम्मद और शाइन) को 24 जुलाई को गिरफ्तार किया. एसटीएफ को दोनों के पास से तीन मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, सात पेन ड्राइव, तीन हार्ड डिस्क, छह डेबिट कार्ड, दो आधार कार्ड, दोे माउस, एक लैपटॉप चार्जर और 450 रुपए मिले. एसटीएफ ने दोनों को ठाणे की कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर एसटीएफ की टीम लखनऊ पहुंची और साइबर क्राइम सेल के हवाले कर दिया गया.

420 ट्रांजेक्शन करा कर ठगे थे 95 लाख रुपये
एसटीएफ को जांच में पता चला है कि पीड़ित से की गई ठगी में जिस बैंक खाते का प्रयोग किया गया है, उस खाते में 1.40 लाख रुपए मौजूद हैं. जालसाजों ने पीड़ित बीएन सिंह से 420 ट्रांजेक्शन के माध्यम से रुपये ठगे थे.

कमीशन पर लिया था खाता
गिरफ्तार मोहम्मद इकबाल बालासाहेब ने पूछताछ में बताया कि उसने वर्ष 1998 में मुंबई विश्वविद्यालय से बीकॉम किया था. वर्ष 2000 में कुवैत गया, जहां पर उसके माता पिता रहते थे. कुवैत में एक ट्रेडिंग कंपनी में सेल्समैन के पद पर नौकरी करता था. वह 2008 में भारत वापस आया. वर्ष 2009 में उसने स्वीफ्ट आईटी रिसोर्स और इपोच आउटसोर्सिंग सर्विसेज कंपनी बनाई, जो 2012 में बंद हो गई. वर्ष 2012 में भाई शाइन, नदीम व मां नसरीन के साथ मिलकर मैक आउट सोर्सिंग सैल्युशप कंपनी बनाई कंपनी ऑनलाइन एग्जाम के लिए कम्प्यूटर लैब उपलब्ध कराती थी. यह कंपनी भी वर्ष 2019 में बंद हो गई. वर्ष 2024 में दोस्त फरीद शेख व आरिफ खान के साथ फर्जी पते पर एक कंपनी बनाई और साइबर ठगी के रुपए कंपनी के कॉर्पोरेट खाते में मंगवाने लगे. खाते में ठगी की रकम मंगवाने पर उसे 10 प्रतिशत का कमीशन मिलने लगा.

20 दिन पहले की थी झूठी शिकायत
पूछताछ में दोनों भाइयों ने बताया कि साइबर क्राइम की ठगी की रकम अपने कंपनी के खाते में मंगवाने से 20 दिन पहले मुहम्मद ने पुलिस को गुमराह करने के लिए साइबर क्राइम पोर्टल पर कंपनी बैंक खाता व ईमेल आईडी हैक होने की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

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