मुंबई. सपनो का शहर कही जाने वाली मुंबई वैसे तो बरसाती बाद, समुद्री तूफान, वैश्विक महामारी कोरोना और आतंकी हमलों सहित कई आपदाओं को झेल चुकी है. लेकिन इस बार मुंबई पर सबसे बड़ी आफत आ सकती है. ये आफत आसमान से मुंबई की तरफ तेजी से बढ़ रही है. मामला ज्यादा गंभीर है. क्योंकि इस आफत से मुंबई का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. ऐसी चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी है.
खगोलशास्त्रियों ने आशंका जताई है कि अंतरिक्ष से गिरने वाला एक एस्टेरॉयड
(विशालकाय पत्थर) तेजी से मुंबई की ओर बढ़ रहा है. 2024 YR4 वैज्ञानिक नाम वाले इस लघुग्रह (एस्टेरॉयड) को आम लोगों के लिए सिटी किलर नाम दिया गया है. इसे करीब 2 महीने पहले (दिसंबर 2024) में पहली बार देखा गया था.

2032 में पहुंचेगा पृथ्वी के पास
अनुमान है कि 130 से 300 फीट तक की चौड़ाई वाला यह एस्टेरॉयड 22 दिसंबर, 2032 को पृथ्वी के पास से गुजरने के दौरान पृथ्वी से टकरा सकता है. हालांकि, इसकी संभावना केवल 1.5 प्रतिशत ही है.

वैज्ञानिक रख रहे हैं नजर
एस्टेरॉयड सिटी किलर के टकराने की संभावना एक प्रतिशत की निर्णायक सीमा से ज्यादा होने के कारण, नासा सहित वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियां इसके मार्ग पर बारीकी से निगरानी रख रही हैं. नासा के आकलन और साइंटिफिक अमेरिकन द्वारा दिए गए रिपोर्ट के अनुसार, एस्टेरॉयड 2024 YR4 का संभावित प्रभाव क्षेत्र पूर्वी पैसिफिक महासागर से दक्षिण एशिया तक फैल सकता है. इस क्षेत्र में बोगोटा (कोलंबिया), लागोस (नाइजीरिया) और भारत के मुंबई शहर जैसे घनी आबादी वाले शहर शामिल हैं.

…तो हो सकते हैं विनाशकारी परिणाम
इस एस्टेरॉयड के चंद्रमा से टकराने की संभावना भी बहुत कम है. लेकिन यदि यह पृथ्वी से टकराता है, तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि टकराने की संभावना हर दिन घट रही है. प्लैनेटरी सोसायटी के मुख्य वैज्ञानिक ब्रूस बेट्स ने न्यूयॉर्क पोस्ट को बताया कि आने वाले महीनों या वर्षों में टकराने की संभावना शून्य हो सकती है. फिर भी, नासा के खगोलशास्त्री कोई जोखिम नहीं ले रहे हैं. नासा एस्टेरॉयड के अनुमानित मार्ग को सुधारने के लिए चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए), रॉसकोस्मोस (रूस) और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) सहित अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ काम कर रहा है. खगोलशास्त्रियों की एक टीम एस्टेरॉयड के आकार और मार्ग का और अधिक सटीक अनुमान लगाने के लिए नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करने की योजना बना रही है.

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