पैरों की कमजोरी बनी मरीज का काल
मुंबई. पुणे में लगभग 200 लोगों को अपनी चपेट में लेनेवाले गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) रोग अब मुंबई में भी पांव पसारने लगा है. मुंबईकरों के लिए चिंता की बात यह है कि एफ उत्तर वार्ड अंतर्गत आने वाले नायर अस्पताल के आईसीयू विभाग में इलाज करा रहे 53 वर्षीय पुरुष मरीज की जीबीएस संक्रमण के कारण मौत हो गई. उक्त मरीज को पैरों में कमजोरी के कारण 23 जनवरी, 2025 को नायर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पता चला है कि नायर अस्पताल में भर्ती होने से 16 दिन पहले वह पुणे लौटा था. चिकित्सीय जांच में मरीज के जीबीएस से संक्रमित होने का खुलासा हुआ था. बाद में सांस लेने में तकलीफ होने के कारण मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया था. सोमवार, 10 फरवरी 2025 को इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई. इस मरीज में पहले बुखार या दस्त के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए थे. एकमात्र रक्तचाप की समस्या थी.
सुधर रही है पालघर की मरीज की हालत
नायर अस्पताल में जीबीएस से संक्रमित एक 16 वर्षीय किशोरी का भी इलाज चल रहा है. वह पालघर की निवासी है. किशोरी को बुखार था. उपचार के दौरान उशके जीबीएस संक्रमित होने का खुलासा हुआ था. लेकिन उचित उपचार के कारण उसकी हालत में सुधार हो रहा है.
मुंबई के अस्पताल तैयार
मुंबई के सभी मनपा अस्पताल और मेडिकल कॉलेज जीबीएस के इलाज के लिए सुसज्जित हैं. मनपा प्रशासन स्पष्ट कर रहा है कि मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाइयां, उपकरण और विशेषज्ञ कर्मचारी उपलब्ध हैं. यदि नागरिकों को गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का कोई भी लक्षण महसूस हो तो उन्हें घबराना नहीं चाहिए. इसलिए हाथ-पैर में अचानक, बढ़ती हुई कमजोरी का अनुभव हो, तो तुरंत निकटतम मनपा अस्पताल में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम को जाने
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ स्वप्रतिरक्षी विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है. इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और गंभीर मामलों में पक्षाघात भी हो सकता है. लेकिन राहत की बात यह है कि जीबीएस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता. लेकिन इसका सटीक कारण अज्ञात है. यह रोग श्वसन या पाचन तंत्र में संक्रमण के बाद होता है. इसका तत्काल इलाज किया जाना आवश्यक है. जीबीएस कोई नई बीमारी नहीं है, यह कई वर्षों से ज्ञात है. यद्यपि यह कोई संक्रामक रोग नहीं है, फिर भी यह कभी-कभी जीवाणु या विषाणु संक्रमण के बाद विकसित हो सकते हैं. जीबीएस के कई अन्य कारण भी हैं। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम पूरे वर्ष भर होता रहता है. लगभग एक लाख लोगों में से एक व्यक्ति इस रोग से पीड़ित होता है. इसलिए, हर महीने कुछ जीबीएस मरीज मुंबई के प्रमुख अस्पतालों / मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए आते हैं.

ये हैं जीबीएस रोग के लक्षण

  • पैरों या भुजाओं में अचानक कमज़ोरी/लकवा
  • अचानक चलने में कठिनाई या कमज़ोरी आना
  • लंबे समय तक दस्त और बुखार

नागरिकों से निम्न सावधानियां बरतने की अपील

  • पीने से पहले पानी को उबाल लें।
  • स्वच्छ और ताजा भोजन खाएं
  • पका हुआ भोजन और कच्चा भोजन एक साथ न रखें.
  • व्यक्तिगत स्वच्छता पर जोर दिया जाना चाहिए.
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