मुंबई. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद भूषण गवई रविवार को पहली बार महाराष्ट्र में आए. इस मौके पर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गवई का महाराष्ट्र बार काउंसिल और गोवा राज्य स्तरीय बार काउंसिल की ओर से मुंबई में सरकार किया गया. सम्मान समारोह में गवई ने कहा कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और लोकतंत्र के तीनों स्तंभों से उसी के अनुसार काम करने की उम्मीद की जाती है.
भूषण गवई ने अपनी भावना व्यक्त करने के दौरान कहा कि भारत का संविधान अमृत महोत्सव वर्ष पूरा करने के बाद आगे बढ़ रहा है. ऐसे समय में न्यायपालिका में सर्वोच्च पद पर सेवा करने का अवसर पाकर वह खुश हैं. मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वह खुश हैं कि उन्हें इसके गठन के 75 वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला है.
भावुक हुए सीजेआई
कार्यक्रम में सीजेआई गवई की मां सहित उनके परिवार के सदस्य उपस्थित थे तो वहीं उन्हें सम्मानित करने के लिए राज्य भर के वकील भी मौजूद थे. ऐसे समय में अपने सत्कार से गवई अभिभूत नजर आए. भाषण के दौरान वह कई बार भावुक हुए. उन्होंने कई पुरानी यादों को भी साझा किया.

प्रशासन, पुलिस पर जताई नाराजगी
साथ ही भाषण के अंत में उन्होंने प्रोटोकॉल का मुद्दा उठाकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि एक तरफ हम कहते हैं कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ (न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका) समान हैं. सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए. लेकिन जब महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र आता है, तो महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई के पुलिस आयुक्त को वहां आने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है, उन्हें इस पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा, “मैं प्रोटोकॉल के बारे में बिल्कुल नहीं सोचता. जब मैं अमरावती, नागपुर जाता हूं, तो मैं पायलट एस्कॉर्ट नहीं लेता. सुप्रीम कोर्ट पहुंचने तक मैं अपने एक दोस्त की मोटरसाइकिल पर अमरावती में घूमता था. लेकिन यह अन्य नगर पालिकाओं द्वारा न्यायपालिका के सम्मान का सवाल है. मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मुझे इन छोटी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन जब किसी संवैधानिक संस्था के प्रमुख यहां आते हैं तो उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि उनके द्वारा किया गया व्यवहार उचित है या नहीं. मैंने लोगों को समझाने के लिए इसका उल्लेख किया है.

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