ठाणे. मुंबई से सटे ठाणे जिले में हुए दोहरे हत्याकांड का खुलासा करीब 10 साल पहले हुआ था. मृतकों में शामिल एक किशोर अपनी मां से 10 मिनट में वापस लौटने का वादा करके घर से निकला था. लेकिन पुलिस उक्त गुमशुदा किशोर को ढूंढ नहीं पाई. पीड़ित का के प्रयासों से करीब 7 महीने बाद गुमशुदगी का राज खुला तो सभी सन्न रह गए. क्योंकि उक्त गुमशुदा किशोर और उसके एक अन्य दोस्त की हत्या कर दी गई थी. उस घटना के बाद एक पीड़ित मां जासूस बन गई और वह गुमशुदा लोगों को ढूंढने में मदद करके अपनो की गुमशुदगी की पीड़ा सहने वाले अपने जैसे पीड़ितों का दर्द दूर करने की कोशिश करती है.
कहानी ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके में रहने वाली फरीदा की है. फरीदा का 17 वर्षीय बेटा सोहैल 17 अप्रैल 2015 की रात घर से दोस्तों को मिलने गया था लेकिन वह वापस नहीं लौटा. उसने कहा था कि 10 मिनट में वापस आता हूं. लेकिन आधी रात बीतने के बाद भी वापस नहीं लौटा तो फरीदा को अनिष्ट की आशंका सताने लगी. वह शिकायत करने पुलिस थाने गई लेकिन पुलिसकर्मियों ने कहा कि 24 घंटे इंतजार करो, दोस्तों के साथ कहीं गया होगा. लेकिन 24 घंटे से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी सोहैल वापस नहीं लौटा.
रेलवे से जेलों तक तलाशती रही पीड़ित मां

फरीदा अपने बेटे की तलाश में मुंबई एमएमआर के रेल पुलिस थानों से लेकर जेलों और मुर्दाघरों तक अपने बेटे की तलाश करती रहीं लेकिन सोहैल का कोई सुराग नहीं मिला. सोहैल को ढूंढने के नाम पर खानापूर्ति करने के बाद पुलिस ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया लेकिन फरीदा खातून ने हार नहीं मानी. वह नियमित तौर पर पुलिस थाने सहित हर उन जगहों पर जाती रही और लोगों से मिलती रहीं, जिनसे सोहैल का सुराग मिलने की संभावना थी. इन्हीं प्रयासों के दौरान फरीदा को पता चला कि सोहैल के साथ-साथ उसका दोस्त शफीक (बदला हुआ नाम) भी 17 अप्रैल 2015 से ही लापता है. शफीक के परिजनों से उसके 7 महीनों से लापता होने की पुष्टि होने के बाद फरीदा ने एक पत्रकार की मदद से ठाणे क्राइम ब्रांच के अधिकारियों से संपर्क किया.
सामने आया प्यार का पंगा
क्राइम ब्रांच की टीम एक्टिव हुई. जांच के दौरान अधिकारियों को पता चला कि सोहैल और शफीक के ज्यादातर दोस्त रबाले इलाके के रहने वाले थे. उन्हीं में से एक दीपक वाल्मीकि उर्फ सैम के साथ शफीक की बहन के प्रेम संबंध थे. पुलिस ने वाल्मीकि को हिरासत में लेकर पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू की तो सनसनीखेज डबल मर्डर का खुलासा हुआ. वाल्मीकि ने बताया कि सोहैल और शफीक उसके दोस्त थे. लेकिन शफीक को उसकी बहन के प्रेम संबंधों का पता चल गया था. इसलिए 17 अप्रैल को सोहैल के साथ उससे झगड़ा करने आया था. उस झगड़े में वाल्मीकि ने अपने दोस्त मोहम्मद चौधरी उर्फ बाबू की मदद से शफीक को मौत के घाट उतार दिया था. वाल्मीकि को शक था कि सोहैल ने शफीक को उसके खिलाफ भड़काया है. इसलिए उसने सोहैल को भी मौत के घाट उतार दिया था. उन दोनों ने सोहैल और शफीक की लाशों को नई मुंबई के तुर्भे क्षेत्र स्थित एक मैदान में दफना दिया था.

7 महीने बाद मिली थी लाश
पुलिस ने सैम और बाबू की निशानदेही पर तुर्भे के उस मैदान से करीब 7 महीने बाद लाशों को बाहर निकाला था. अपने बेटे की गुमशुदगी सुलझाने के बाद अब फरीदा दूसरे गुमशुदा लोगों को ढूंढने का प्रयास करके अपना ग़म भुलाने का प्रयास करती है.

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