मुंबई. संसद और विभिन्न राज्यों की प्राक्कलन समितियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार को सुबह महाराष्ट्र विधान भवन सभागार में शुरू हुआ. सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विकास के लिए खर्च किया जानेवाला पूरा पैसा सामान्य जनता तक पहुंचना चाहिए और संसद की प्राक्कलन समिति (अंदाज समिति) इस दिशा में बहुत ही प्रभावी काम कर रही है. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह, विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे, विधानसभा अध्यक्ष एडवोकेट राहुल नार्वेकर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे, विधानसभा के उपसभापति अन्ना बनसोडे, लोकसभा प्राक्कलन समिति के सभापति डॉ. संजय जायसवाल, महाराष्ट्र विधानसभा प्राक्कलन समिति के सभापति अर्जुन खोतकर उपस्थित थे.
उप मुख्यमंत्री शिंदे ने अपने भाषण में कहा कि गरीबों का कल्याण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एजेंडा है और वे हमेशा कहते हैं कि हर रुपया गरीबों तक पहुंचना चाहिए. इसमें प्राक्कलन समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और प्रशासन की दक्षता, मितव्ययिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करती हैं. वर्तमान में ये समितियां अपने चरम पर हैं और देश भी दोगुनी गति से प्रगति कर रहा है. संसदीय समितियां छोटी संसद या छोटी विधायिकाएं हैं. इन समितियों को लोकतंत्र की आत्मा का दर्पण बताते हुए डीसीएम शिंदे ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय जिम्मेदारी और पारदर्शिता बहुत महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और प्राक्कलन समिति बहुत सक्षम और प्रभावी संसदीय माध्यम है.
उप मुख्यमंत्री शिंदे ने लाडली बहन योजना का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे बजट में कई चीजें होती हैं. घोषणाएं और प्रावधान भी होते हैं. यह देखना महत्वपूर्ण है कि इन प्रावधानों का सही तरीके से, समय पर और प्रभावी तरीके से उपयोग हो रहा है या नहीं और यह इस समिति की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि जब मैं महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना तो मैंने विकास के साथ-साथ कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं. उनमें से एक है ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण’ (लाडली बहन) योजना शुरू करने से पहले हमने आरबीआई के सभी दिशा-निर्देशों, बजट के प्रावधानों और एफआरबीएम अधिनियम पर पूरी तरह विचार करने के बाद यह कदम उठाया. ऐसी योजनाएं लोगों के व्यापक कल्याण के लिए आवश्यक हैं.
मोदी सरकार ने बनाया पार पारदर्शिता का आदर्श
शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले 11 वर्षों के कार्यकाल में सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का आदर्श स्थापित हुआ है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि प्राक्कलन समिति का काम कुछ हद तक आसान हो गया है. एक तरफ वित्तीय स्तर पर सावधान और कुशल रहना और अनुशासन का पालन करना होता है, वहीं दूसरी तरफ लोगों द्वारा चुनी गई सरकार के लिए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना भी जरूरी है. आखिरकार, लोकतंत्र में सरकार लोगों के लिए होती है.
लोकतंत्र को मजबूत करती हैं समितियां! -उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोर्हे
संसद और राज्य विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन महाराष्ट्र विधान भवन में पूरे उत्साह के साथ शुरू हुआ. इसमें देश भर से समिति प्रमुख, सदस्य और सम्मानित जनप्रतिनिधि और अधिकारी भाग ले रहे हैं. सोमवार को पहले दिन समापन के अवसर पर विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने अपने सारगर्भित भाषण में प्राक्कलन समितियों के मूल्यांकनात्मक योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि समितियां ‘मिनी लेजिस्लेटर्स’ हैं और ये समितियां सरकार के कामकाज पर बारीकी से नजर रखकर जनता के हितों की रक्षा करती हैं. उन्होंने समितियों में पारदर्शिता, अनुशासन और निष्पक्षता पर जोर दिया और नए जनप्रतिनिधियों के लिए इन समितियों के प्रशिक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डाला.