मुंबई. बेस्ट बसों को मुंबईकरों की दूसरी लाइफ लाइन कहा जाता है. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण मुंबई की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की रीढ़ मानी जाने वाली बेस्ट अब बीमार हो गई है. बेस्ट के बेड़े में बसों की संख्या काफी घट गई है. बेस्ट बस चालकों के प्रशिक्षण पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. इसे बेस्ट के निजीकरण की साजिश बताते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ओर से गुरुवार को अंधेरी रेलवे स्टेशन के पास विरोध प्रदर्शन किया गया.
७ अगस्त को बेस्ट दिवस मनाया जाता है. लेकिन अंधेरी पश्चिम स्थित मैकडॉनल्ड के पास आयोजित प्रदर्शन में बेस्ट की खस्ता हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रदर्शनकारियों ने बेस्ट को बचाने की गुहार लगाई. ‘बेस्ट बचेगी तो बेस्ट दिवस भी मनाया जायेगा !’ घोष वाक्य के साथ प्रदर्शनकारियों सरकार, मनपा और बेस्ट प्रबंधन की तिकड़ी पर मुंबईकरों की दूसरी लाइफ लाइन को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेलने का आरोप लगाया.
ये है प्रदर्शनकारियों का दावा
2010 में बेस्ट के पास 4385 बसों का मजबूत बेडा (fleet) था. इस साल, जुलाई के आते-आते बसों की संख्या घटकर 2994 हो गई है, जिसमे से सिर्फ ४३७ बसें ही बेस्ट की अपनी हैं. बढे हुए किराए, बसों की घटती संख्या, बंद किये गए बस मार्ग और बसों की खस्ता हालत के कारण मुंबई के लोगों को बहुत तकलीफ उठानी पड़ रही है.
लगाए गंभीर आरोप
खुद खड़े किए गए इस संकट को हल करने के बहाने बी.एम्.सी., बेस्ट प्रशासन और सरकार ने बेस्ट की मूल्यवान सार्वजनिक जमीनों को बेचना शुरू कर दिया है जिसे वे पुनर्विकास का नाम देते हैं. ये सारी बातें बेस्ट की पूरी तरह से बंद करने की साजिश की ओर इशारा करती हैं.
उठाए अहम सवाल

  • मनपा कानून १८८८ के अनुसार बेस्ट प्राधिकरण मुंबई महानगरपालिका का अविभाज्य अंग है और कलम १२६ तथा १३४ के अनुसार बेस्ट को आर्थिक सहायता देना उसी की जिम्मेदारी है. फिर मुंबई मनपा इस जिम्मेदारी से इंकार क्यों कर रही है?
  • भारत की सबसे अमीर महानगरपालिका बेस्ट के बजट को अपने बजट के साथ मिलाने के लिए इनकार क्यों कर रही है?
  • जब घाटे में चल रही मेट्रो सेवा के लिए लगभग एक लाख करोड़ का कर्ज लेकर खर्च किया गया है तो बेस्ट के साथ यह भेदभाव क्यों?
  • बेस्ट की पुरानी सुरक्षित और आरामदेह बसों की जगह ठेकेदारों से छोटी, रखरखाव के अभाव में अक्सर खराब होने वाली या जलकर खाक होने वाली निजी मालिकों की बसें ठेके पर क्यों ली जा रही हैं?
  • बेस्ट की सार्वजनिक जमीनों के पुनर्विकास का फायदा किसको होने वाला है?
  • नए नए द्रुतगति मार्ग, पुल, मेट्रो इत्यादि बनाने के लिए सरकार के पास बहुत पैसा है लेकिन मेहनतकशों के लिए अत्यावश्यक बेस्ट जैसी सार्वजनिक सेवा चलाने के लिए इसके पास पैसे क्यों नहीं है?
  • नागरिकों के लिए किफायती, आरामदेह और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन सेवा किसी भी राजनैतिक पार्टी के चुनावी मुद्दों में शामिल क्यों नहीं है?

आंदोलनकारियों ने की निम्न मांगें

  1. किराये में बढ़ोत्तरी रद्द करें
  2. बेस्ट का बजट बी.एम्.सी के बजट में विलीन करें
  3. निजीकरण (ठेकेदारी प्रथा) रद्द करके बेस्ट के बेड़े (fleet) में सिर्फ बेस्ट की अपनी सार्वजनिक बसें शामिल करें
  4. बस सेवा सबको उपलब्ध होनी चाहिए; बंद किए हुए सभी लंबी दूरी के बस मार्ग फिर से शुरू करें
  5. सार्वजनिक परिवहन बढ़ाने से पर्यावरण को भी फायदा होता है. 200 व्यक्ति के प्रति कम से कम एक बस होनी चाहिए.
  6. सार्वजनिक जमीने जनता की हैं; बेस्ट की जमीनों का मुद्रीकरण और पुनर्विकास बंद करें.
  7. डिपो में कर्मचारियों के लिए साफ-सुथरे आरामगाह, कैंटीन तथा शौचालय होने अत्यावश्यक हैं.
  8. मुंबई के नागरिकों के लिए किफायती, आरामदेह और सुरक्षित सार्वजनिक बस सेवा अत्यावश्यक है.
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