मुंबई. देश के प्रमुख बैंकों में शामिल पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 10 हजार करोड़ का चूना लगाकर ब्रिटेन भागने में सफल हुए भारतीय व्यवसायी नीरव मोदी को वापस भारत लाने के लिए भारतीय जांच एजेंसियां एडी चोटी का जोर लगा रही हैं. लेकिन वर्ष 2019 से ब्रिटेन की जेल में बंद होने के बाद भी नीरव भारतीय बैंकों से ठगे गए पैसों की बदौलत अपना प्रत्यर्पण टालने में लगातार सफल हो रहा है. इस मामले में अब उसने ब्रिटेन की एक अदालत को बताया है कि अगले महीने जब उनके भारतीय प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई फिर से शुरू होगी, तो उसमें ‘सनसनीखेज’ खुलासे होंगे.
लंदन के रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस में बैंक ऑफ इंडिया के 80 लाख डॉलर के बकाया कर्ज से संबंधित एक अलग कानूनी कार्यवाही के दौरान 54 वर्षीय नीरव मोदी ने उपरोक्त दावा किया है. वह धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों में भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है. खुद को ‘व्यक्तिगत रूप से वादी’ बताते हुए, मोदी ने अदालत में एक घिसी-पिटी सफेद टी-शर्ट और गुलाबी ट्रैक पैंट पहने हुए अपने हस्तलिखित नोट पढ़े. नीरव का तर्क है कि कानूनी प्रक्रिया उसके लिए अनुचित है क्योंकि उसकी दृष्टि कमजोर है और जेल में उसे कंप्यूटर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
प्रत्यर्पण अपील फिर से खुली
ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने पुष्टि की है कि नीरव मोदी ने अपनी प्रत्यर्पण अपील को फिर से खोलने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन दायर किया है. भारत सरकार ने इस पर अपना जवाब पहले ही जमा कर दिया है और मामले की सुनवाई नवंबर के अंत में होनी है. यह घटनाक्रम ब्रिटेन के गृह मंत्रालय द्वारा उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दिए जाने के बाद सामने आया है, जो इस हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. नीरव ने विश्वास व्यक्त किया है कि अदालत द्वारा नए सबूत स्वीकार किए जाने के बाद उसे या तो बरी कर दिया जाएगा या जमानत मिल जाएगी. हालांकि, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश साइमन टिंकलर ने तकनीकी या चिकित्सीय आधार पर मुकदमे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर कंप्यूटर तक पहुंच सहित सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करें.
2018 में भारत से भाग गया था नीरव
गौरतलब हो कि जनवरी 2018 में पीएनबी बैंक घोटाले का खुलासा होने से कुछ हफ्ता पहले ही नीरव मोदी भारत से ब्रिटेन भाग गया था. नीरव और उसके मामा मेहुल चोकसी पर आरोप है कि उन्होंने बिना उचित मंजूरी या जमानत के फर्जी ‘लेटर्स ऑफ़ अंडरटेकिंग’ प्राप्त करके पीएनबी को धोखा दिया. इस घोटाले के कारण पीएनबी को एसबीआई (मॉरीशस और फ्रैंकफर्ट), इलाहाबाद बैंक (हांगकांग) और अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंकों को भुगतान करना पड़ा, जबकि मोदी की कंपनियां ऋण चुकाने में विफल रहीं. मुंबई की एक अदालत ने 2020 में उन्हें ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित किया था और उनकी संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया. ब्रिटेन में नीरव की जमानत की कई कोशिशें, विदेश भागने की आशंका के चलते, पहले ही खारिज की जा चुकी हैं.
प्रत्यर्पण लिस्ट में मेहुल समेत 15 और वांटेड
बेल्जियम में एंटवर्प की एक कोर्ट ने 17 अक्टूबर को भारत के भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी की अपील खारिज कर दी. इस फैसले के बाद चोकसी के भारत प्रत्यर्पण करने की मंजूरी देने को सीबीआई बड़ी कानूनी जीत मान रही है. इसके लिए जल्द ही एक लीगल टीम बेल्जियम भी पहुंचेगी, जो इस मामले में 15 दिनों के अंदर मेहुल की ओर से बेल्जियम की सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ संभवत: की जाने वाली अपील के खिलाफ रणनीति तैयार करेगी.
35 भगोड़े लाए गए, 15 के खिलाफ एक्शन की तैयारी
अधिकारियों का कहना है कि सीबीआई इस साल अभी तक 35 भगोड़ों को भारत लाने में कामयाब हुई है, जिसे इस साल के अंत तक हाफ सेंचुरी तक बढ़ाने की योजना है. सीबीआई की एक विशेष टीम सिर्फ इसी काम पर लगी है कि कैसे इस साल अधिक से अधिक भगोड़ों को भारत वापस लाने में कामयाब मिल सके. इसके लिए एक्सपर्ट लीगल एडवाइज लेने समेत उन तमाम देशों से सरकार के माध्यम से कानूनी कार्यवाही की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि 2023 में 29, 2024 में 30 और 2025 में इस साल सितंबर तक 35 भगोड़ों को भारत लाया जा चुका है. अब बाकी बचे इन दो महीनों से अधिक समय में मेहुल चोकसी समेत 10 से 15 भगोड़ों को भारत लाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है.