प्राथमिक स्कूलों में पहली कक्षा से तीन भाषा पढ़ाए जाने के राज्य सरकार के निर्णय का राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) पुरजोर विरोध कर रही है. हिंदी भाषियों को मराठी बोलने की जिद करके पीटा जा रहा है. विवाद मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों तक भी पहुंच गया है. इसी पृष्ठभूमि में बीजेपी नेता कृपाशंकर सिंह तह की बात समूह से खास बात की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश…

आपकी पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही है और आज आप बीजेपी में एक बड़े नेता माने जाते हैं, दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग है…

  • देश में सभी राजनीतिक पार्टियां राजनीति के माध्यम से अलग-अलग विचारधारा के साथ काम करती है. मैं कांग्रेस में था. कांग्रेस से मुझे तीन बार निर्वाचित होकर विधायक बना. एक बार एमएलसी बनने का मौका मिला. मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बना. पांच साल मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला.

इतना सब मिलने के बाद भी आप बीजेपी में…

  • उस दौर की कांग्रेस अलग हुआ करती थी. लेकिन 5 अगस्त 2019 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लोकसभा में कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का साहसिक निर्णय लिया. देश के गृह मंत्री अमित शाह अपने संबोधन में कह रहे थे कि अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाया जा रहा है. उस समय देश के दूसरे नागरिकों की तरह मैं भी टीवी देख रहा था. मुझे अंदर से इतनी खुशी हुई, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं. क्योंकि हमारे एक देश में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान की व्यवस्था वाले आर्टिकल 370 को हटाने का प्रयास बहुतों ने किया था. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आर्टिकल 370 को अस्थाई बताते हुए कहा था कि ये खुद ही अपनी मौत मरेगा. उसे हटाने का साहस पीएम मोदी ने किया. इससे मैं बहुत प्रभावित हुआ. फिर भी कांग्रेस ने निर्णय का विरोध किया. कांग्रेस और दूसरी विरोधी पार्टियों ने कहा था कि कश्मीर में खून की नदियां बहेंगी. ये मुझे नहीं जंचा, मैने उसी दिन पीएम मोदी का टेलीविजन के माध्यम से अभिनंदन किया. मैने 370 को हटाने के फैसले को पीएम मोदी और बीजेपी का देश हित में लिया गया सबसे बड़ा निर्णय बताया. इसके बाद पार्टी से दिल्ली के नेताओं, मल्लिकार्जुन खरगे आदि का फोन आने लगा. मुझ पर पार्टी की विचारधारा के खिलाफ जाने का आरोप लगाया गया. जिसके जवाब में मैन पत्र लिखकर कहा था कि बीजेपी के निर्णय को सही करार देते हुए पार्टी आलाकमान ने निर्णय का समर्थन करने की मांग की थी. लेकिन मेरी मांग नहीं मानी गई. इसलिए 9 सितंबर को मैने पार्टी आलाकमान को अपना सांकेतिक इस्तीफा भेज दिया था.

तब मैं बीजेपी में शामिल नहीं हुआ

  • 10 सितंबर को हमारी पार्टी के नेता हर्षवर्धन पाटिल बीजेपी में शामिल हुए थे. तब मुझसे भी कहा गया था कि चुनाव का समय है आप भी बीजेपी में आकर चुनाव लड़ लें लेकिन मैंने ऑफर स्वीकार नहीं किया था. क्योंकि तब मुझे अवसरवादी कहा जाता. मैं 20 महीने इंतजार करता रहा लेकिन कोई चिट्ठी या जवाब कांग्रेस से नहीं आया. तब 22 जुलाई को देवेंद्र फडणवीस के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मैं उनसे मिलने पहुंचा. वहां पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल से मुलाकात हुई. उन्होंने मुझे बीजेपी से जुड़ने का सुझाव दिया. मैं राजनीति में था और मुझे राजनीति के माध्यम से समाज सेवा करनी थी इसलिए मैं बीजेपी में शामिल हुआ. यहां मेरा पूरे अपनेपन के साथ स्वागत किया गया. मुझे उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली मैं काम करता रहा. इस दौरान मुझे जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला. दुर्भाग्य से मैं चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाया. लेकिन मैं बीजेपी के सिपाही के रूप में आज भी काम कर रहा हूं.

दोनों पार्टियों के विचारधारा में कितना अंतर है?

  • धार्मिक होने में कोई बुराई नहीं है लेकिन धर्मांध नहीं होना चाहिए. रही बात हिंदुत्ववादी विचारधारा की तो हिंदुत्व इस देश की संस्कृति है. हिंदुत्व या सनातन धर्म समानता की बात करता है. किसी से लड़ने या द्वेष करने की बात नहीं सिखाता है. प्रेम-सद्भावना की बात सिखाता है. इसलिए धर्मनिरपेक्ष या कट्टरपंथी जैसी बातों को राजनीति से दूर रखना चाहिए? बीजेपी राष्ट्रीयता प्रथम की समर्थक है. इसलिए मैं बीजेपी के साथ हूं.

आपने बताया कि आप यूपी से लोकसभा का चुनाव लड़े, उस दौरान आपके विरोध में प्रचार किया गया कि चुनाव के बाद आप फिर से मुंबई भाग जाएंगे.. तो आप आज भी यूपी में सक्रिय हैं, या फिर आपने फिर से अपना ध्यान मुंबई की ओर केंद्रित कर दिया है?  

  • आप पता कर लीजिए. मुझे बीजेपी का सांसद बनाने के लिए 4 लाख से अधिक लोगों ने मतदान किया. कुछ वोट मेरे खिलाफ में नहीं हुए और मैं चुनाव हार गया लेकिन वहां के कार्यकर्ता, बूथ, मंडल के अध्यक्षों की बात कौन सुनेगा? मुझे प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि आप भले ही संसद भवन में नहीं बैठ पाएंगे लेकिन लोगों का काम करने के लिए जो भी जरूरत होगी, वो सब आपको उपलब्ध कराई जाएगी. मुझे पीएम मोदी और सीएम योगी से पूरा सहयोग मिल रहा है. इसलिए मैं सप्ताह में दो से तीन दिन यूपी के अपने चुनाव क्षेत्र में गुजारता हूं. मेरा वहां कार्यालय है, कर्मचारी है. लोगों से मिलता हूं. उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास करता हूं.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में क्या सोचते हैं?

  • मैं बीजेपी की नीति राष्ट्र प्रथम, फिर पार्टी की नीति को बेहद पसंद करता हूं. प्रधानमंत्री मोदी एक वैश्विक नेता हैं. कई मामलों में आज पूरी दुनिया उनकी तरफ देखती है. उनके नेतृत्व में दुनियाभर में भारत का मान बढ़ा है.  
    देवेंद्र फडणवीस के बारे में…    
    मुंबई के बारे में सही मायने में किसी ने सोचा है तो वो नेता देवेंद्र फडणवीस हैं. 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उनकी समझ में आया कि मुंबई में यातायात सबसे बड़ी समस्या है. और आप 15 मिनट में बांद्रा से मरीन ड्राइव पहुंच जाते हैं, मेट्रो का जाल बिछ गया है. सड़कें पुलों का जो काम हो रहा है. उसके लिए साधुवाद के पात्र हैं.
    मुंबई में भाषा विवाद जोरों पर चल रहा है… राज उद्धव साथ आ रहे हैं..
    भाषा संवाद के लिए होती है, विवाद के लिए नहीं लेकिन सत्ता से वंचित रहने की वजह से कुछ लोग बौखला गए हैं. वो किसी भी तरह से सत्ता पाने के लिए भाषा को शस्त्र बनाकर लोगों में वैमनस्यता बढ़ाने का काम कर रहे हैं. हिंदी, मराठी, संस्कृति तीनों देवनागरी लिपि आधारित भाषा हैं. तीनों सगी बहनें हैं. यह सही है कि हम यहां रहते हैं तो हमें मराठी आना जरूरी है.
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