मुंबई. राज्य में श्रम कानूनों में संशोधन करके महाराष्ट्र श्रम संहिता नियम बनाए गए हैं, जिनमें से महाराष्ट्र व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य और कार्यस्थल संहिता नियमों के मसौदे को मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई है, जिसे केंद्र सरकार को उसकी सहमति के लिए भेजा जाएगा.
बता दें कि केंद्र के श्रम कानूनों के अनुरूप संहिताएं बनाई जा रही हैं. इसमें औद्योगिक सुरक्षा के साथ-साथ विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा गया है. जैसे कि महिलाओं के लिए काम के घंटे, उनकी सुरक्षा के साथ-साथ उनके लिए सुविधाएं भी शामिल की गई हैं. नए नियम राज्य की ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति में एकरूपता लाएंगे. सरकार का दावा है कि इससे राज्य में निवेश बढ़ाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी.
जटिल कामगार कानूनों को सरल बनाने की तैयारी
केंद्र सरकार ने वर्ष 1999 में रवींद्र वर्मा की अध्यक्षता में दूसरे श्रम आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने 2002 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इसने जटिल श्रम कानूनों को सरल बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए थे. इसके तहत सभी 29 श्रम कानूनों को केवल 4 श्रम संहिताओं में एकीकृत करने की सिफारिश की गई थी. तदनुसार, केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों के प्रावधानों को मिलाकर चार संहिताएं तैयार की हैं. इन 4 संहिताओं को संसद के अधिनियमों के रूप में पारित किया गया है और राष्ट्रपति द्वारा उन्हें मंजूरी दी गई है. इन संहिताओं के कार्यान्वयन के लिए, सभी राज्यों को संबंधित संहिताओं के कार्यान्वयन के अनुरूप नियम बनाने का निर्देश दिया गया था. तदनुसार, महाराष्ट्र राज्य द्वारा बनाए गए औद्योगिक संबंध और मजदूरी संहिता नियमों को मंत्रिमंडल द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है.

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