दिवाली के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसलिए दिवाली को लक्ष्मी पूजन के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान लंबोदर गणेश और कुबेर की पूजा अर्चना का विधान है. लेकिन पूजा में प्रसाद के भोग का भी अपना महत्व होता है. दिवाली पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर को प्रसन्न करने के लाइन निम्न प्रसादों का भोग लगा सकते हैं.

  1. केसर या मखाने की खीर, शुक्र और समृद्धि: खीर मां लक्ष्मी को सबसे प्रिय व्यंजनों में से एक है। यह दूध, चावल और चीनी से बनती है, जो सफेद (शुक्र ग्रह का रंग) और मिठास का प्रतीक है। केसर डालने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। खीर का भोग लगाने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है, जिससे भौतिक सुखों और धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
  2. बताशे और चीनी के खिलौने, चंद्रमा और शीतलता: बताशे और चीनी के खिलौने (जैसे हाथी, घोड़े आदि) रात्रि पूजा में विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं। इनका संबंध चंद्रमा (जो धन और मन का कारक है) और शीतलता से है। यह भोग शुक्र दोष को दूर करता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाता है।
  3. श्रीफल, श्री का प्रतीक: नारियल को ‘श्रीफल’ कहा जाता है, जहां ‘श्री’ का अर्थ स्वयं मां लक्ष्मी है। यह सबसे शुद्ध फल माना जाता है क्योंकि इसका जल पूर्णतः शुद्ध और पवित्र होता है। साबुत, पानी वाला नारियल या नारियल के लड्डू अर्पित करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन का आगमन होता है।
  4. पान का बीड़ा (मीठा पान), प्रसन्नता और पूर्णता: पूजा के अंत में देवी को मीठा पान अर्पित करने की परंपरा है। यह भोग पूजा की पूर्णता और समृद्धि और प्रसन्नता के प्रतीक को दर्शाता है। इसे पूजा के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करना शुभ माना जाता है।
  5. मखाना, जल से उत्पत्ति: मखाना कमल के पौधे से उत्पन्न होता है और इसकी उत्पत्ति भी मां लक्ष्मी की तरह समुद्र या जल से मानी जाती है। यह एक पवित्र और शुद्ध भोग है। मखाना या मखाने की खीर चढ़ाने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि वह कमल पर ही विराजमान होती हैं।
  6. पंचामृत, शुद्धि और अमृत: दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण यानी पंचामृत हर पूजा में अनिवार्य है। यह शुद्धता, शक्ति और अमरता/ अमृत का प्रतीक है। इसका भोग लगाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-दौलत की कमी नहीं रहती।
  7. फल (अनार, केला, सिंघाड़ा), प्रकृति का आशीर्वाद: मां लक्ष्मी को ताजे मौसमी फल प्रिय हैं। अनार धन की वृद्धि का प्रतीक है क्योंकि इसमें कई दाने होते हैं)। केला और सिंघाड़ा जो जल में उगता है भी माता को अति प्रिय हैं। फल चढ़ाने से प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

भोग का प्रसाद बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

  • शुद्धता: प्रसाद हमेशा स्वच्छ मन से, शुद्ध सामग्री का उपयोग करके, और सात्विक तरीके से घर पर ही बनाना चाहिए।
  • सफेद रंग का महत्व: मां लक्ष्मी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान विशेष रूप से प्रिय होते हैं। इसलिए, खीर, सफेद बर्फी, या बेसन/सूजी का हलवा श्रेष्ठ माने जाते हैं।
  • गुजिया और लड्डू: दीपावली पर गुजिया और सूजी या बेसन के लड्डू बनाने की परंपरा भी है, जिन्हें भक्ति भाव से अर्पित किया जाता है।

डिस्क्लेमर : इस आलेख में दी गई जानकारी ज्योतिष एवं धार्मिक मान्यताओं, धार्मिक पुस्तकों में दी गई कथाओं दृष्टांतो आदि पर आधारित है. तह की बात इनकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी अनुष्ठान या प्रयोग से पहले स्व विवेक का इस्तेमाल करें तथा योग्य जानकार की सलाह जरूर लें.

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