मुंबई. मेट्रो एक्वा लाइन अर्थात मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो रेल सेवा (मुंबई मेट्रो 3) को मुंबईकरों का जबरदस्त प्रतिसाद मिल रहा है. लेकिन इसी के साथ मुंबईकरों की अपेक्षा भी बढ़ गई है. बेस्ट, एसटी, रेलवे और अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाओं की तर्ज पर मेट्रो 3 में भी दिव्यांग यात्रियों को किराए में रियायत की मांग उठने लगी है. वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वास्थ्य दूत दीपक कैतके ने राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुंबई मेट्रो- 3 में दिव्यांग यात्रियों को किराए में छूट देने की मांग की है.
दक्षिण मुंबई के कफ परेड और गोरेगांव- पूर्व स्थित आरे कॉलोनी के बीच चलने वाली इस किफायती मेट्रो रेल सेवा के कारण यात्रियों को ट्रैफिक के जंजाल से मुक्ति मिल गई है, तो वहीं बस के इंतजार में बर्बाद होने वाला उनका समय और ऑटोरिक्शा टैक्सी में खर्च होनेवाला पैसा बच रहा है. खासकर कफ परेड, नरीमन पॉइंट, आदि क्षेत्रों से मुंबई सीएसटीएम (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) जाने वाले यात्रियों को मेट्रो तीन की यात्रा बेहद भा रही है. लेकिन पत्रकार दीपक कैतके ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से दिव्यांगो को प्रोत्साहन देने की नियत और मानवीय आधार पर मेट्रो के किराए में राहत देने की मांग की है.
कैतके ने मीडिया से कहा कि वर्तमान में बेस्ट बसें और नगर निगम परिवहन सेवाओं में दिव्यांगों को रियायतें दी जाती हैं. इसी तरह राज्य परिवहन (एसटी) बसों में दिव्यांग यात्रियों को नि:शुल्क यात्रा की सुविधा है. स्थानीय और लंबी दूरी की ट्रेनों में 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग यात्रियों को 70 प्रतिशत और उनके सहायकों को 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है. पूर्ववर्ती महायुति सरकार के मुख्यमंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मेट्रो 7 और 2ए मार्ग पर 25 प्रतिशत की छूट लागू की थी. लेकिन हाल ही में शुरू हुई मेट्रो 3 में रियायत नहीं दिए जाने से दिव्यांग यात्रियों में असंतोष है. कैतके ने मीडिया से कहा कि अन्य सभी परिवहन माध्यम दिव्यांगों को रियायतें प्रदान करते हैं, लेकिन मेट्रो में इस सुविधा के अभाव के कारण उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है और यह उनके लिए आर्थिक व मानसिक रूप से बोझ बन गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि “एक ओर राज्य सरकार ने विकलांग कल्याण मंत्रालय की स्थापना की है, वहीं दूसरी ओर मेट्रो जैसे महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक परिवहन में रियायतों से दिव्यांगों को वंचित रखा गया है, यह बेहद अनुचित है.
उन्होंने आगे कहा कि RPWD अधिनियम 2016 और यूएनसीआरपीडी (UNCRPD) कन्वेंशन के तहत विकलांग नागरिकों को सार्वजनिक परिवहन में रियायतें देना सरकार की जिम्मेदारी है। दीपक कैतके के शब्दों में “सुगम और सुलभ परिवहन दिव्यांगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि उनका मौलिक अधिकार है. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि मुंबई मेट्रो प्रशासन को तत्काल निर्देश देकर रियायत नीति और प्रक्रिया को स्पष्ट किया जाए, ताकि दिव्यांग यात्रियों को राहत मिल सके. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय ने कैतके के इस बयान पर संज्ञान लिया है और संबंधित विभागों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. कैतके ने विश्वास व्यक्त किया है कि कि जल्द ही दिव्यांग यात्रियों को राहत की घोषणा की जा सकती है.
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