मुंबई. आज देशभर में रक्षा बंधन का पर्व मनाया जा रहा है. ये दिन भाई-बहन को समर्पित होता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर पवित्र रक्षासूत्र या फिर कहें राखी बांधकर उसकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती है.
द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल ये पर्व श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है. इस बार रक्षा बंधन का विशेष महत्व माना जा रहा है क्योंकि वर्षों बाद राखी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा. तो वहीं इस दिन सोभाग्य सर्वार्थ सिध्द शोभन योग बनेगा और श्रवण नक्षत्र रहेगा. इस बार रक्षा बंधन पर्व पर भद्रा का साया तो नहीं है, एक दुर्लभ संयोग भी बनने जा रहा है. शनिवार को रक्षा बंधन पर्व पर 08 ग्रह जिन राशियों में एक साथ रहेंगे, यह संयोग वर्ष-1728 में भी बना था. दोबारा से यह संयोग बनना ऐतिहासिक घटना भी है.
9 अगस्त 2025 का पंचांग
शनिवार 9 अगस्त 2025 को दोपहर 01:24 मिनट तक श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी, जिसके बाद प्रतिपदा तिथि का संयोग बन रहा है. इसके अलावा 02:15 से शोभन योग का आरंभ होगा, इससे पहले सौभाग्य योग रहेगा. जबकि दोपहर 01:25 मिनट तक बव करण रहेगा. इसके बाद बालव करण का आरंभ होगा, जो 9 अगस्त को देर रात तक रहेगा. इसी के साथ दोपहर 02:23 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा, जिसके उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है.
राहुकाल में न बांधें राखी
ज्योतिष में राहुकाल को अशुभ समय मानते हुए इस दौरान किसी भी शुभ कार्य का करने की मनाही है. देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार दिनांक 09 अगस्त 2025, शनिवार के दिन प्रात:काल 09:07 से लेकर 10:47 बजे तक राहुकाल रहेगा. ऐसे में बहनों को रक्षाबंधन वाले दिन 01 घंटा 40 मिनट की इस अवधि में अपने भाईयों को राखी बांधने से बचना चाहिए. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन अभिजित मुहूर्त में भाई को राखी बांधना अत्यधिक शुभ रहेगा. रक्षाबंधन के दिन यह शुभ मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से लेकर 12:53 बजे तक रहेगा.
क्या होता है राहु काल?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जिस राहु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना गया है और जिसके प्रभाव में आने वाली समयावधि में किसी भी प्रकार का शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही है. इसलिए राहु काल में रक्षाबंधन का पर्व भी मनाने से बचना चाहिए. मान्यता है कि राहुकाल के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने पर उसमें बाधा या अहित होने की आशंका बनी रहती है. यही कारण है कि इसमें देवी-देवताओं की पूजा, यज्ञ आदि देव कार्य भी नहीं किए जाते हैं. हर दिन डेढ़ घंटे तक लगने वाला राहुकाल का समय प्रत्येक दिन सूर्योदय के समयानुसार तय होता है. खास बात ये भी कि सप्ताह के प्रत्येक दिन में इसका समय अलग-अलग होता है.
राहुकाल में कभी नहीं करने चाहिए ये कार्य
हिंदू मान्यता के अनुसार राहुकाल में शादी, विवाह, सगाई या फिर राखी बांधने जैसे शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए.
करियर हो या फिर कारोबार, राहुकाल के दौरान किसी भी कार्य विशेष की शुरुआत नहीं की जाती है.
राहुकाल के दौरान लोग महत्वपूर्ण यात्रा को प्रारंभ करने से बचना चाहिए.
राहुकाल के दौरान किसी के साथ कोई बड़ी बिजनेस की डील और धन का लेन-देन करने से बचना चाहिए.
राहुकाल के दौरान भूमि, भवन, वाहन आदि चीजों का क्रय-विक्रय करने से बचना चाहिए