मुंबई. हैदराबाद गजट को मान्यता देकर मराठा समाज को कुणबी प्रमाण पत्र देने और ओबीसी कोटे से आरक्षण देने के महाराष्ट्र की महायुति सरकार के निर्णय से राज्य के ओबीसी नेता पहले ही सकते में है. ओबीसी नेता इसे सरकार का ओबीसी समाज के साथ विश्वासघात बता रहे हैं और आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि इस संस्मरण से ओबीसी समाज से आरक्षण छीनने की आशंका बढ़ गई हैं. इसी बीच हरियाणा में आईपीएस वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के कारण पूरे देश में बवाल मचा है. कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि वह जातिगत भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना के कारण यह कदम उठा रहे हैं. इस पृष्ठभूमि में वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने दलित आईएएस, आईपीएस और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों से तीन सवाल पूछे हैं. उन्होंने अधिकारियों से आव्हान करते हुए कहा है कि यदि मेरे सवाल का जवाब आपके पास न में तो आप सतर्क हो जाएं और दलित आंदोलन में शामिल हो जाएं.
आंबेडकर ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि दलित आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या इस बात का प्रमाण है कि शहरी इलाकों में जातिगत भेदभाव अब किसी से छिपा नहीं है. वाई. पूरन कुमार की पत्नी भी एक आईएएस अधिकारी हैं. लेकिन इसके बाद भी पूरन जातिगत भेदभाव से बच नहीं पाए.
ऐसे में दलित आईएएस, आईपीएस अधिकारियों, प्रोफेसरों, इंजीनियरों और सरकार में उच्च पदस्थ अधिकारियों से मेरे तीन सवाल हैं. पहला सवाल है कि क्या आपको अब भी आंबेडकरवादी आंदोलन की जरूरत महसूस नहीं होती? दूसरा सवाल है कि क्या आपको अब भी लगता है कि आपकी आर्थिक प्रगति ने आपको जातिगत भेदभाव से बचा लिया है और तीसरा सवाल आंबेडकरवादी राजनीतिक दलों के बारे में पूछा है कि क्या आप अब भी आंबेडकरवादी दलों की अनदेखी करते रहेंगे?
…तो दलित आंदोलन में हो जाएं शामिल
आंबेडकर ने इन सवालों के साथ आव्हान करते हुए कहा है कि यदि इन तीनों प्रश्नों का आपका उत्तर ‘नहीं’ है, तो आपको स्वयं आंबेडकरवादी आंदोलन में शामिल हो जाना चाहिए. आंबेडकर ने आंबेडकरवादी पत्रकारिता और राजनीति में योगदान देने के भी संकेत दिए हैं. उन्होंने अधिकारियों को भी चेतावनी दी है. अपने बेटे-बेटियों को इस आंदोलन में शामिल होने और आंदोलन में योगदान देने के लिए तैयार करें, अन्यथा उन्हें भी जातिगत अन्याय का सामना करना पड़ेगा. आंबेडकर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा है. इस बीच, आईपीएस पूरन के सुसाइड नोट में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. पूरन ने अपने सुसाइड नोट में यह भी कहा था कि इस संबंध में कई लिखित शिकायतों के बावजूद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. चंडीगढ़ पुलिस ने आत्महत्या के सिलसिले में 13 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.