बीएमसी कमिश्नर से राज ठाकरे की मांग
मुंबई. मुंबई महानगर पालिका (मनपा) की तिजोरी भरने के लिए अदानी, अंबानी सहित अन्य कंपनियों से अतिरिक्त कर लिया जाना चाहिए. ऐसा सुझाव महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मुंबई महानगर पालिका के आयुक्त एवं प्रशासक भूषण गगरानी को दिया है.
शुक्रवार को मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय में मनपा आयुक्त भूषण गगरानी से मुलाकात के दौरान कहा कि मुंबई में दूसरे राज्यों से इलाज के लिए आनेवाले मरीजों के कारण मनपा अस्पतालों पर काफी दबाव बढ़ रहा है और स्थिति बिगड़ती जा रही है. राज ने कहा कि मुंबई के मनपा अस्पतालों में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से मरीजों के आने में कोई हर्ज नहीं है. लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों के कारण मनपा के अस्पतालों की स्थिति खराब हो रही है. इन सभी चीजों का बोझ मनपा को उठाना पड़ता है. उन्होंने आगे कहा कि मेरी मनपा आयुक्त से इस बात पर भी चर्चा हुई है कि क्या बाहरी मरीज जहां से आए हैं, वहां का निकाय प्रशासन मुंबई मनपा को कोई पैसा दे रहा है? या मुंबई मनपा सिर्फ मरीजों को देखे और हमारे शहर व अस्पतालों पर दबाव बढ़ाए? क्या इस पर कुछ अलग से शुल्क नहीं लगाया जा सकता है?
‘रिलायंस, अडानी से लो अतिरिक्त कर’
राज ठाकरे ने कहा कि आज मुंबई महानगरपालिका की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. ऐसी स्थिति में मुंबई शहर में जो भूमिगत केबल बिछाई गई है, फिर चाहे वो रिलायंस की हो, अडानी की हो या अन्य किसी की. मनपा उनसे पैसा क्यों नहीं ले रही है?
मैं मुख्यमंत्री से करूंगा बात
राज के सवाल के जवाब में मनपा आयुक्त ने कहा कि यह राज्य सरकार का निर्णय है. इस पर राज ने कहा कि जीएसटी आने से चुंगी बंद कर दी गई है. इससे मनपा को मिलनेवाला राजस्व बंद हो गया है. इसलिए मनपा दबाव में है. ऐसे में हम राज्य सरकार को पत्र भेज कर मांग करेंगे कि मनपा को मिलने वाला पैसा कहीं और न लगाया जाए. राज ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से मिलकर पूछूंगा कि सभी से पैसा लिया जाता है तो कंपनियों से क्यों नहीं? वे चैरिटी संस्था नहीं हैं. वे अपना मुनाफा कमा रहे हैं तो फिर मनपा को उनसे पैसे क्यों नहीं लेना चाहिए?
‘मूर्तिकारों को सोचना चाहिए’
इस बीच, गणेशोत्सव के दौरान पीओपी गणेश मूर्तियों पर प्रतिबंध के बारे में पूछे जाने पर राज ठाकरे ने कहा, “मूर्ति निर्माताओं को अब इस बारे में सोचना चाहिए. अगर ऐसा हर बार होने वाला है, तो चीजें बदलनी चाहिए. जब आपको पता है कि सरकार क्या कहना चाहती है, तो क्या आपको इसे नहीं बदलना चाहिए? हर साल एक ही समस्या क्यों आती है? उन्हें एक स्टैंड लेना होगा. मूर्ति निर्माताओं को इस तथ्य के बारे में भी सोचना चाहिए कि इससे होने वाला प्रदूषण बहुत बड़ा है. उन्हें कोई दूसरा रास्ता निकालना चाहिए.