मुंबई. एकादशी तिथि श्रीहरि अर्थात भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय तिथियों में एक मानी जाती है. वैसे तो साल में 24 एकादशी पड़ती है. इनमें आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. इस एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. योगिनी एकादशी को संतान सुखदाई भी कहा जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित योगिनी एकादशी तिथि इस साल शनिवार (21 जून 2025) को पड़ रही है. इस दिन सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से मनुष्यों को सुख-समृद्धि और मोक्ष मिलता है.
योगिनी एकादशी के दिन विधिविधान श्री हरि का पूजन उपवास करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है तो वहीं व्रती की संतान को दिर्घायु की प्राप्ति होती है. व्रती को पाप और रोगों से मुक्ति की प्राप्ति होती है. इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं और सत्यनारायण की कथा का पाठ करते या सुनते हैं। यह कथा सुनन से और व्रत करने से समस्त प्रकार के दुखों का नाश होता है, रोगी को आरोग्य मिलता है. बंदी भयमुक्त हो जाता है. साथ ही व्रत करने से आर्थिक समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है.
दान का भी है विशेष महत्व
योगिनी एकादशी के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति की आर्थिक मदद करने से कई गुना पुण्य मिलता है. किसी व्यक्ति को उसका काम शुरू कराने या बढ़ाने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार आर्थिक मदद कर सकते हैं. इस दिन जरूरतमंदों को उनकी जरूरत के अनुरूप अनाज (गेहूं, चावल), पीले फल का दान कर सकते हैं. इसी तरह भोजन करा सकते हैं तथा विष्णु जी के प्रिय पीले रंग के वस्त्रों का दान भी बेहद शुभ माना जाता है. इससे घर में समृद्धि, खुशी और शांति आती है.
भोग का महत्व
योगिनी एकादशी के दिन स्नान, ध्यान, जप, तप और दान की ही तरह भोग का भी बहुत ज्यादा महत्व है. भगवान विष्णु को मखाने की खीर और पंचामृत का भोग बेहद पसंद है. यह बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस भोग से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी कृपा बरसाते हैं.
पंचामृत का भोग : पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण) का भोग विष्णु जी को अर्पित करना चाहिए। इससे जीवन में शांति आती है और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है.
योगिनी एकादशी 2025: तिथि और समय
प्रारंभ– 21 जून 2025, सुबह 07:18 बजे
समापन– 22 जून 2025, सुबह 04:27 बजे
व्रत तिथि– 21 जून 2025
शुभ योग और मुहूर्त
अश्विनी नक्षत्र– शाम 7:50 बजे तक
अतिगंड योग– रात 8:28 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11:59 से 12:47 तक
अमृत काल– दोपहर 1:12 से 2:40 तक
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ‘तह की बात’ इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.)