मुंबई. मालवणी में वर्ष 2018 में हुई हत्या के एक मामले में गिरफ्तार आरोपी को मुंबई उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया है.
लगभग साढ़े 6 साल से जेल में बंद आरोपी विकास पाटिल पर अपने बड़े भाई की हत्या का आरोप लगा है. मालवणी पुलिस ने उसे 15 अक्टूबर 2018 को गिरफ्तार किया था लेकिन उसके बाद पुलिस ने मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. ऐसे में त्वरित सुनवाई और मुकदमे में देरी के अधिकार का हवाला देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने विशाल को जमानत पर रिहा करने का फैसला सुनाया.
कोर्ट ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने 9 मई को कहा, “निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने या समाप्त होने की कोई स्पष्ट संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि पाटिल की निरंतर कैद संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए मुकदमे से पहले की सजा के बराबर है. अदालत ने सिर्फ अपराध की गंभीरता के आधार पर अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपी की जमानत की अपील के लगातार और कठोर विरोध की भी आलोचना की. अदालत ने रेखांकित किया कि विशेष रूप से उन मामलों में जहां मुकदमा शुरू भी नहीं हुआ है और भले ही आरोपी बिना मुकदमे के वर्षों से हिरासत में हो सिर्फ आरोप की गंभीरता को जमानत से इनकार का आधार मानना एक गलत धारणा है.

जेलों में हो गई है भारी भीड़
विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण जेलों में भारी भीड़ हो गई है. भीड़ को नियंत्रित करने में अब जेल प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगे हैं. न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने मुंबई केंद्रीय कारागार (आर्थर रोड जेल) के अधीक्षक की दिसंबर 2024 की एक रिपोर्ट का भी उल्लेख किया, जिसमें दावा किया गया है कि 50 कैदियों की क्षमता वाली बैरकों में 220 से 250 तक कैदी बंद हैं. न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि इस तरह के हालातों से विचाराधीन कैदियों के मानवाधिकार के उल्लंघन बढ़ गया है.

बांग्लादेशी महिला को भी जमानत
देश में विदेश नागरिकों खासकर बांग्लादेशी, पाकिस्तानी व रोहिंग्याओं की बढ़ती घुसपैठ सुरक्षा और संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा बन गई है. इससे मुंबई सहित देश के कई इलाकों की डेमोग्राफी बदलने का खतरा उत्पन्न हो गया है लेकिन एक अन्य मामले में उच्च न्यायालय ने एक बांग्लादेशी महिला को सिर्फ इसलिए जमानत पर रिहा कर दिया क्योंकि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 24 घंटे के भीतर उसे कोर्ट में पेश नहीं किया था. बतायाबजा रहा है कि उक्त बांग्लादेशी महिला शबनम अंसारी को पुलिस ने 28 जनवरी को उसके बच्चे के साथ गिरफ्तार किया था. लेकिन उसे मजिस्ट्रेट कोर्ट में 24 घंटे बीतने के बाद पेश किया था. शबनम ने इस मामले में उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन किया था. इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव के समक्ष हुई. गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर आरोपी को पेश करना कानून द्वारा अनिवार्य है. उच्च न्यायालय ने शबनम को यह कहते हुए जमानत दे दी कि पुलिस द्वारा देरी याचिकाकर्ता महिला के अधिकारों का उल्लंघन है.

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